Skip to main content

थायराइड कैंसर एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय है

थायराइड कैंसर एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय है

लखनऊ, 24 मई 2024 : थायराइड कैंसर अन्य कैंसर की अपेक्षा बहुत कम देखने को मिलता है लेकिन वैश्विक स्तर पर यह एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय है। भारत में थायराइड कैंसर की घटना प्रति लाख जनसंख्या पर 5.4 है। इस आंकड़े की वजह से इस मूक खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक हो जाता है। थायराइड कैंसर के कई उपप्रकार हैं, जिनमें पैपिलरी थायराइड कैंसर सबसे प्रचलित रूप है। सुस्त, धीमी गति से बढ़ने वाले ट्यूमर से लेकर उच्च मृत्यु दर वाले आक्रामक रूपों तक थायराइड कैंसर का क्लीनिकल बिहेवियर (नैदानिक व्यवहार) व्यापक रूप से अलग-अलग होता है। थायराइड कैंसर की बारीकियों और इसके प्रबंधन को समझना सही इलाज प्रदान करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

रीजेंसी हॉस्पिटल लखनऊ के मेडिकल ऑनकोलॉजिस्ट कंसलटेंट डॉ नीरज अग्रवाल ने थायराइड कैंसर से लड़ने के लिए जल्दी पहचान और जागरूकता के महत्व को समझाते हुए कहा, “थायराइड कैंसर किसी भी उम्र के महिला या पुरुष को हो सकता है, लेकिन कुछ जोखिम फैक्टर, जैसे लिंग, आयु, रेडियेशन एक्सपोजर, पारिवारिक इतिहास और खानपान संबंधी आदतें खतरे को बढ़ा सकती हैं। गर्दन की सूजन, आवाज में बदलाव, निगलने में कठिनाई, क्रोनिक खांसी या गर्दन में दर्द जैसे संभावित संकेतों और लक्षणों के बारे में सतर्क रहना, प्रारंभिक डायग्नोसिस और समय पर इलाज में मदद कर सकता है।”

थायराइड कैंसर विभिन्न उपप्रकारों में होता है। इन  उपप्रकारों की अपनी अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। पैपिलरी थायराइड कैंसर  सबसे प्रचलित प्रकार है। यह कैंसर आमतौर पर धीमी गति से बढ़ता है और अक्सर इसका प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। फॉलिक्युलर थायरॉयड कैंसर 10 से 15% थायराइड केसों में योगदान देता है, यह हड्डियों और फेफड़ों में भी फैल सकता है।

मेडुलरी थायराइड कैंसर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होने वाला थायराइड कैंसर है। यह थायरॉयड C कोशिकाओं में उत्पन्न होता है। वहीं एनाप्लास्टिक थायरॉयड कैंसर बहुत ही दुर्लभ थायराइड कैंसर है, यह आक्रामक होता है और इसका इलाज मुश्किल होता है। इसके अलावा थायरॉयड लिम्फोमा भी थायरॉयड कैंसर का एक प्रकार है जो थायरॉयड के भीतर इम्यून सिस्टम कोशिकाओं में उत्पन्न होता है, यह भी बहुत दुर्लभ कैंसर है।

थायराइड कैंसर की रोकथाम के लिए लिंग, आयु, रेडियेशन जोखिम, पारिवारिक इतिहास, आयोडीन की कमी वाली डाइट और आनुवंशिक बीमारियों जैसे जोखिम फैक्टर के बारे में जागरूकता महत्वपूर्ण है। नियमित स्वास्थ्य जांच और संदिग्ध लक्षणों का तुरंत मेडिकल इवेल्यूएशन (चिकित्सा मूल्यांकन) इस प्रकार के कैंसर का जल्द पता लगाने और इलाज के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। दरअसल अधिकांश थायराइड कैंसर का पता नियमित जांच या अन्य बीमारियों के इलाज के दौरान संयोग से लगाया जाता है। इसलिए थायराइड कैंसर को मूक खतरा माना जाता है। थायराइड कैंसर का इलाज कैंसर के प्रकार और स्टेज के आधार पर भिन्न होता है। सामान्य इलाज के तौर पर सर्जरी होती है। सर्जरी में थायराइड ग्रंथि  (कुल थायरॉयडेक्टॉमी या आंशिक थायरॉयडेक्टॉमी) को निकाला जाता है।

सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी (RAI) का इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ केस में बाहरी बीम रेडियेशन का उपयोग किया जा सकता है, खासकर जब सर्जरी नही करनी होती है तो यह विकल्प अमल में लाया जाता है। कीमोथेरेपी का इस्तेमाल आमतौर पर एनाप्लास्टिक थायरॉयड कैंसर के लिए किया जाता है।

इसके अलावा  टारगेटेड ड्रग थेरेपी कैंसर कोशिकाओं के भीतर विशिष्ट असामान्यताओं को टारगेट करने के लिए नई दवाओं का उपयोग करके, उनकी वृद्धि और प्रसार को रोकने में मदद कर सकती है। थायराइड कैंसर से लड़ने के लिए डॉक्टरों, नीति निर्माताओं और समुदाय को शामिल करने वाले एक सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है।

सभी अध्ययनों में थायराइड कैंसर के लिए प्रोग्नोसिस सामान्य रूप से उत्कृष्ट होता है, जिसमें 5 वर्ष की कुल सर्वाइवल 95% से ज्यादा है। जागरूकता को बढ़ावा देने, रिसर्च पहलों का समर्थन करने और नियमित स्वास्थ्य जांच को बढ़ावा देने से इस मूक खतरे के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा इन उपायों से थायराइड कैंसर से प्रभावित व्यक्तियों के लिए परिणामों में सुधार करना संभव बनाया जा सकता है।

Comments

Popular posts from this blog

आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है!

-आध्यात्मिक लेख  आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते ...

लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन

लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन स्मारक कर्मचारियों ने किया कार्य बहिष्कार कर्मचारियों ने विधानसभा घेराव का किया ऐलान जानिए किन मांगों को लेकर चल रहा है प्रदर्शन लखनऊ 2 जनवरी 2024 लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन स्मारक कर्मचारियों ने किया कार्य बहिष्कार और कर्मचारियों ने विधानसभा घेराव का भी है किया ऐलान इनकी मांगे इस प्रकार है पुनरीक्षित वेतनमान-5200 से 20200 ग्रेड पे- 1800 2- स्थायीकरण व पदोन्नति (ए.सी.पी. का लाभ), सा वेतन चिकित्सा अवकाश, मृत आश्रित परिवार को सेवा का लाभ।, सी.पी. एफ, खाता खोलना।,  दीपावली बोनस ।

आईसीएआई ने किया वूमेन्स डे का आयोजन

आईसीएआई ने किया वूमेन्स डे का आयोजन  लखनऊ। आईसीएआई ने आज गोमतीनगर स्थित आईसीएआई भवम में इन्टरनेशनल वूमेन्स डे का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन, मोटो साॅन्ग, राष्ट्रगान व सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। शुभारम्भ के अवसर पर शाखा के सभापति सीए. सन्तोष मिश्रा ने सभी मेम्बर्स का स्वागत किया एवं प्रोग्राम की थीम ‘‘एक्सिलेन्स / 360 डिग्री’’ का विस्तृत वर्णन किया। नृत्य, गायन, नाटक मंचन, कविता एवं शायरी का प्रस्तुतीकरण सीए. इन्स्टीट्यूट की महिला मेम्बर्स द्वारा किया गया। इस अवसर पर के.जी.एम.यू की सायकाॅयट्रिक नर्सिंग डिपार्टमेन्ट की अधिकारी  देब्लीना राॅय ने ‘‘मेन्टल हेल्थ आफ वर्किंग वूमेन’’ के विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में लखनऊ शाखा के  उपसभापति एवं कोषाध्यक्ष सीए. अनुराग पाण्डेय, सचिव सीए. अन्शुल अग्रवाल, पूर्व सभापति सीए, आशीष कुमार पाठक एवं सीए. आर. एल. बाजपेई सहित शहर के लगभग 150 सीए सदस्यों ने भाग लिय।