अपनी आत्मा का विकास करना ही हमारे जीवन का परम उद्देश्य!
Article अपनी आत्मा का विकास करना ही हमारे जीवन का परम उद्देश्य! डॉ. जगदीश गाँधी, संस्थापक-प्रबन्धक सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ (1) एक झोली में फूल भरे हैं एक झोली में कॉटे! कोई कारण होगा?:- विश्व में वही परिवार, समाज तथा राष्ट्र उन्नति करता है, जिनके नागरिक कड़ी मेहनत तथा ईमानदारी से निरन्तर अपनी नौकरी या व्यवसाय करते हुए अपनी आत्मा का विकास करते हैं। इसके विपरीत जिन देशों के नागरिक ऐसा नहीं करते वो कही न कहीं अपने जीवन के परम उद्देश्य को ना तो समझ पाते हैं और न ही अपने परिवार, समाज और राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान दे पाते हैं। एक गीत की पंक्तियाँ हैं - एक झोली में फूल भरे हैं एक झोली में कॉटे! कोई कारण होगा? अर्थात् एक झोली में सफलता तथा एक झोली में असफलता भरी है, इसके पीछे के कारण को हमें जानते हुए अपनी झोली को फूल से भरने के लिए गंभीर प्रयास करना होगा। (2) ऐसी नौकरी तथा व्यवसाय करना चाहिए जो आध्यात्मिक संतुष्टि दे:- हमारा मानना है कि नौकरी या व्यवसाय ही आत्मा के विकास का एकमात्र उपाय है। कुछ लोग अपने कार्य-व्यवसाय से इसलिए छुट्टी नहीं लेते हैं क्यांेकि वह अपने कार्य-व्यवसाय क