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इं0 रमाकान्त तिवारी ‘रामिल’ की दो काव्य कृतियों का लोकार्पण

इं0  रमाकान्त  तिवारी  ‘रामिल’  की  दो  काव्य  कृतियों  का लोकार्पण

लखनऊ, अवध  भारती  संस्थान  द्वारा  इं0  रमाकान्त  तिवारी  ‘रामिल’  की  दो  काव्य  कृतियों  का लोकार्पण प्रेस क्लब सभागार में सम्पन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने की और मुख्य अतिथि थे प्रो0 पवन अग्रवाल। कृतियों के संदर्भ में अपना वक्तव्य देते हुए प्रो0 दीक्षित  ने  कहा  ‘‘वस्तुतः  ‘रामिल’  आस्था,  विश्वास  और  मूल्यों  के  कवि  हैं।  उनकी  संवेदना  का प्रमाण ‘कोरोनाः कथा और व्यथा’ काव्य कृति है, जिसमें कोरोना काल में  मानव के संघर्ष और जिजीविषा का चित्रण है।

प्रो0  अग्रवाल  ने  ‘हास्य-व्यंग्य  कणिकाएं’  नामक  पुस्तक  की  चर्चा  करते  हुए  कहा  कि आशा, निराशा, हताशा और अवसाद आज की पीढ़ी का स्थायी भाव बनता जा रहा है, ऐसे में यह कृति पाठकों को हताशा और अवसाद से उबारकर उनके जीवन में उल्लास पैदा करेगी। मुख्य वक्ता  ड0  चम्पा  श्रीवास्तव  ने  ‘रामिल’  जी  की  रचनाधर्मिता  को  रेखांकित  करते  हुए  कहा  कि

ध्येयनिष्ठ, निष्काम, सृजनकर्मी और सृजनधर्मी रामिल जी सारस्वत साधना के अनथक साधक के

रूप में माँ भारती के भंडार को अनवरत अनुप्राणित कर रहे हैं। अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डॉ0 राम बहादुर मिश्र ने ‘रामिल’ को शाश्वत मूल्यों का कवि बताते हुए कहा कि उनकी रचानाओं में शाश्वत  मूल्यों  के  स्वर  प्रमुखता  के  साथ  उभरे  हैं।  आज  हम  ऐसे  कठिन  समय  में जीने  को विवश हैं, जहाँ समय और समाज मूल्यविहीन जीवन को मान्यता दे रहा है।

आकाशवाणी, दिल्ली से पधारीं सुश्री अलका सिंह ने कहा कि कोरोना से सम्बन्धित पुस्तक हमें विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, वहीं दूसरी पुस्तक मन को गुदगुदाती है। डॉ0 अम्बरीष सिंह ने अपने मनोभावों को व्यक्त करते हुये कहा कि ‘रामिल’ जी की कोरोना काल में रचित पुस्तक वस्तुतः एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जो अगली पीढ़ी को भी मानव की अदम्य जिजीविषा से परिचित करायेगी।

डॉ0 संतलाल ने ‘रामिल’ जी के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा वे कम बोलने और लिखने वाले साहित्यकार हैं। इनमें साहित्य की अपार संभावनाएं हैं। डॉं0 शिव प्रकाश अग्निहोत्री ने रामिल जी की सृजनधर्मिता का उल्लेख करते हुए कहा कि रामिल जी की लेखनी में अभाव की पीड़ा भी है और उससे पीड़ित होकर न टूटने की दास्तान भी है। ‘कोरोनाः कथा और व्यथा’ काव्य कृति इसका प्रमाण है।

संचालक प्रदीप सारंग ने रामिल के रचनाकर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘रामिल’ जी की  बारह  काव्य  कृतियां  प्रकाशित  हैं  और  तीन  प्रकाशाधीन  हैं,  उनसे  साहित्य  जगत  को  बड़ी अपेक्षाएं हैं।

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