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धर्म हमें एकता व शान्ति से रहने की प्रेरणा देता है

धर्म हमें एकता व शान्ति से रहने की प्रेरणा देता है

  • तीन दिवसीय इण्टरनेशनल इन्टरफेथ कान्फ्रेन्स का भव्य समापन
  • देश-विदेश से पधारे विचारकों का मत

लखनऊ, 16 जुलाई। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अशर्फाबाद कैम्पस द्वारा सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित तीन दिवसीय ‘इण्टरनेशनल इन्टरफेथ कान्फ्रेन्स’ धार्मिक एकता को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ आज सम्पन्न हो गई। समापन अवसर पर देश-विदेश से पधारे विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविद्ों, न्यायविद्ों व विभिन्न धर्मों के धर्माचार्यों ने एक स्वर से अपील की कि धार्मिक समन्वय के आधार पर सभी मिलकर जलवायु परिवर्तन, सामाजिक न्याय, शिक्षा, लिंगभेद आदि विभिन्न असमानताओं को दूर करने हेतु कदम उठायें एवं सामाजिक उत्थान व सतत् विकास का मार्ग प्रशस्त करें। विदित हो कि इण्टरनेशनल इण्टरफेथ कान्फ्रेन्स का आयोजन ‘यूनिटी ऑफ थॉट अमंग रिलीजन: फॉर ए बेटर वर्ल्ड’ थीम पर 14 से 16 जुलाई तक सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न देशों से पधारे विद्वजनों ने लगातार तीन दिनों तक धर्म के विभिन्न आयामों एवं सामाजिक असमानताओं पर चर्चा-परिचर्चा की एवं विश्व एकता एवं विश्व शान्ति के महान लक्ष्य हेतु ‘विभिन्न धर्मो के बीच समन्वय’ स्थापित करने पर जोर दिया।

सम्मेलन के अन्तिम व तीसरे दिन आज परिचर्चा का शुभारम्भ करते हुए बहाई धर्मानुयायी व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि धर्म हमें जीवन मूल्यों पर चलना सिखाता है, हमारी आध्यात्मिक प्रगति करता है। अतः यह जरूरी है कि हम सभी के प्रति प्रेमभाव रखे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन विभिन्न धर्मों के बीच संवाद कायम करने, धर्म के आधार पर होने वाली दूरियों को मिटाने एवं संसार में प्रेम और भाईचारा की भावना को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा। हिन्दू धर्माचार्य स्वामी मुक्तिनाथनंद ने कहा कि हम सभी को मिल जुल कर रहना चाहिए क्योंकि हमारे देश को सभी धर्मों के सहयोग की जरूरत है। सिख धर्म से सरदार हरपाल सिंह जग्गी ने कहा कि देश के विकास में धर्म का अभिन्न रोल होता है। सभी धर्मों के सहयोग से ही राष्ट्र विकसित होता है। बौद्ध अनुयायी भदन्ते ज्ञानलोक ने कहा कि सभी धर्मों को आपस में समानता के भाव से रहना आवश्यक है। आध्यात्मिकता वह समानता का धागा है जो सभी धर्मों को एकता के सूत्र में बाँधता है। जैन धर्माचार्य श्री वीर शैलेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि समाज तभी विकसित होगा, जब सभी एक होकर कार्य करेंगे। इसी प्रकार बहाई धर्म से डा. अनिल सरवाल एवं ईसाई धर्म से फादर डेनिस नरेश लोबो ने सारगर्भित विचार रखे।

सम्मेलन के अन्तिम दिन विद्वजनों की चर्चा-परिचर्चा के अलावा पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। ‘रिलीजन एण्ड एन एथिकल कोड फॉर टेक्नोलॉजी’ विषय पर आयोजित पहले पैनल डिस्कशन में डा. दिव्या गुप्ता, डा. अजीत कुमार शासने, फादर डी एन लोबो एवं सी.एम.एस. छात्रा जया सिंह ने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। पैनल डिस्कशन का संचालन श्री रोहित मिश्रा ने किया। इसी प्रकार, ‘यूथ इण्टरफेथ फोरम’ नामक पैनल डिस्कशन में सी.एम.एस. छात्रों मुज्तबा अली खान, अनाइका पाठक एवं भुवन जायसवाल ने ओजस्वी वाणी में अपने विचार व्यक्त किये। इसके अलावा, श्री शहजाद आलम एवं श्री डेविड रिस्ले ने भी परिचर्चा में भाग लिया। परिचर्चा का संचालन डा. शैली हैमोड ने किया। इसके अलावा, छात्रों के लिए पोस्टर मेकिंग, डिक्लेमेशन, स्टोरी राइटिंग एवं वाद-विवाद आदि प्रतियोगिताएं आयोजित हुई, जिसके माध्यम से ‘धार्मिक समन्वय’ का संदेश सारे विश्व परिदृश्य पर गंुजायमान हुआ।

अपरान्ह सत्र में आयोजित समापन सत्र में ‘इण्टरनेशनल इन्टरफेथ कान्फ्रेन्स’ की संयोजिका व सी.एम.एस. अशर्फाबाद कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती तृप्ति द्विवेदी ने देश-विदेश से पधारे सभी विद्वजनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी विद्वजनों व धर्मावलम्बियों के विचार-विमर्श से जो मित्रता व सद्भावना का वातावरण निर्मित हुआ है, वह इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है और यही भावना भावी पीढ़ी में सौहार्द व भाईचारे के लिए प्रेरणास्रोत साबित होगी।

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