Skip to main content

वर्ल्ड हेल्थ डे के उपलक्ष्य में सेफ सोसाइटी की ओर से आयोजित हुआ "सम्मेलन" कार्यक्रम

वर्ल्ड हेल्थ डे के उपलक्ष्य में सेफ सोसाइटी की ओर से आयोजित हुआ "सम्मेलन" कार्यक्रम 

8 अप्रैल, 2023, लखनऊ: वर्ल्ड हेल्थ डे के उपलक्ष्य में सेफ सोसाइटी की ओर से बालिकाओं और महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने कहा कि हमारे समाज में अभी भी महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति उपेक्षा का रवैया अपनाया जाता है। महिलाएं अक्सर अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होती हैं। जब तक स्वास्थ्य को लेकर बहुत ज्यादा दिक्कत न हो तो वे चिकित्सक के पास भी नहीं जाती हैं। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य को बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया जाता है। खासतौर पर अगर हम ग्रामीण परिवेश की बात करें तो यहां बचपन से ही एक लड़की को मानसिक रूप से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। किशोरावस्थ्या में शरीर में होने वाले बदलाव से लेकर शादी और बच्चों की जिम्मेदारी और अपेक्षाओं पर खरे उतरने को लेकर वे अवसादग्रस्त होने लगती हैं। ऐसे में हमें उनके मानसिक स्वास्थ्य पर खास ध्यान देना चाहिए। 

सेफ सोसायटी के महिला आजीविका की कार्यक्रम प्रबंधक विभा मिश्रा ने कहा कि ग्रामीण परिवेश में अधिकतर लोग आर्थिक रूप से संपन्न नहींं होते हैं। ऐसे गरीब परिवार की महिलाओं के ऊपर घर चलाने के साथ साथ पारंपरिक अपेक्षाएं, स्नेह की कमी और अपने पति के साथ संघर्ष, विधवा और तलाक और अपनी बेटियों के लिए दहेज प्रदान करने में कठिनाई सहित कई कारण होते हैं। यदि हम महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाए और उनके मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ्य रहने के प्रति जागरूक करें तो हम समाज में काफी बदलाव ला सकते हैं। 

कार्यक्रम में मौजूद मेंटल हेल्थ काउंसलर दीपाली श्रीवास्तव ने कहा कि हिंसा की शिकार महिलाओं में अवसाद, चिंता और मनोदैहिक लक्षणों सहित मानसिक बीमारी का खतरा अधिक होता है । भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक आम सामाजिक समस्या है। वन स्टेप सेंटर और वूमेन हेल्पलाइन में महिलाओं संबंधित हिंसा के काफी मामले आते हैं। जिसमें से अधिकतर विवाहित महिलाओं के होते हैं। आज की तारीख में भी लगभग 90 फीसद ग्रामीण आबादी मानसिक स्वास्थ्य से वंचित है। अभी भी लोग मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित इलाज को पागलपन से जोड़कर देखते हैं। जिसकी वजह से वो मनोरोग विशेषज्ञ के बजाय झाड़फूंक के चक्कर में फंसे रह जाते हैं। ऐसे में अवसाद ग्रस्त महिला या किशोरियों को पागल या भूतप्रेत का साया बताकर कई बार जान से मार भी दिया जाता है।

बीकेटी की एलएमओ ने मेंस्ट्रूअल और रेप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर कहा कि भारत में प्रसवोत्तर अवसाद 11-23% महिलाओं को प्रभावित करता है। इसके पीछे का कारण गरीबी, प्रसवपूर्व मनोरोग रुग्णता, खराब वैवाहिक और पारिवारिक संबंधों, समर्थन की कमी, वैवाहिक हिंसा और बालिकाओं के जन्म होता है। साथ ही किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव तथा सुरक्षित , स्वच्छ मासिक धर्म सम्बन्धी आचरण का अभाव,  प्राकृतिक रूप से होने वाली शारीरिक प्रक्रिया के चारों ओर एक जटिल व भारी सन्नाटा खड़ा कर दिया गया है । इसलिए  बच्चियों के मन में पीरयड के प्रारम्भ तथा इससे सम्बंधित आचरण  के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण बिठाने की आवश्यकता है । लड़कियों / महिलाओं द्वारा प्रयुक्त अस्वस्थ मासिक धर्म सम्बन्धी व्यवहार आदि कारण से  उनको  आरटीआई (रीप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फ़ेक्शन ) , पीआईडी ( पेल्विक इन्फ़्लैमटॉरी डिज़ीज) हो सकती है। जिसकी वजह से आगे जाकर कई तरह की जटिलताएं हो सकती हैैं। सही समय पर इलाज न कराने से जान भी जा सकती है। इसलिए मासिक धर्म स्वच्छता को  बच्चियों की स्वास्थ्य शिक्षा का अंग बनाया जाना अति आवश्यक है।

Comments

Popular posts from this blog

आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है!

-आध्यात्मिक लेख  आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते हुए

लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन

लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन स्मारक कर्मचारियों ने किया कार्य बहिष्कार कर्मचारियों ने विधानसभा घेराव का किया ऐलान जानिए किन मांगों को लेकर चल रहा है प्रदर्शन लखनऊ 2 जनवरी 2024 लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन स्मारक कर्मचारियों ने किया कार्य बहिष्कार और कर्मचारियों ने विधानसभा घेराव का भी है किया ऐलान इनकी मांगे इस प्रकार है पुनरीक्षित वेतनमान-5200 से 20200 ग्रेड पे- 1800 2- स्थायीकरण व पदोन्नति (ए.सी.पी. का लाभ), सा वेतन चिकित्सा अवकाश, मृत आश्रित परिवार को सेवा का लाभ।, सी.पी. एफ, खाता खोलना।,  दीपावली बोनस ।

भगवान चित्रगुप्त व्रत कथा पुस्तक का भव्य विमोचन

भगवान चित्रगुप्त व्रत कथा पुस्तक का भव्य विमोचन लखनऊ, जुलाई 2023, अयोध्या के श्री धर्महरि चित्रगुप्त मंदिर में भगवान चित्रगुप्त व्रत कथा पुस्तक का भव्य विमोचन  किया गया। बलदाऊजी द्वारा संकलित तथा सावी पब्लिकेशन लखनऊ द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का विमोचन संत शिरोमणी श्री रमेश भाई शुक्ल द्वारा किया गया जिसमे आदरणीय वेद के शोधक श्री जगदानंद झा  जी भी उपस्थित रहै उन्होने चित्रगुप्त भगवान् पर व्यापक चर्चा की।  इस  अवसर पर कई संस्था प्रमुखो ने श्री बलदाऊ जी श्रीवास्तव को शाल पहना कर सम्मानित किया जिसमे जेo बीo चित्रगुप्त मंदिर ट्रस्ट,  के अध्यक्ष श्री दीपक कुमार श्रीवास्तव, महामंत्री अमित श्रीवास्तव कोषाध्यक्ष अनूप श्रीवास्तव ,कयस्थ संध अन्तर्राष्ट्रीय के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश खरे, अ.भा.का.म के प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश कुमार जी एवं चित्रांश महासभा के कार्वाहक अध्यक्ष श्री संजीव वर्मा जी के अतिरिक्त अयोध्या नगर के कई सभासद भी सम्मान मे उपस्थित रहे।  कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष दीपक श्रीवास्तव जी ने की एवं समापन महिला अध्यक्ष श्री मती प्रमिला श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम