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फिक्की के बायोफोर्टिफिकेशन कान्फ्रेंस में भारत के पोषण परिणामों में सुधार के उपायों पर चर्चा

फिक्की के बायोफोर्टिफिकेशन कान्फ्रेंस में भारत के पोषण परिणामों में सुधार के उपायों पर चर्चा

  • निजी और सरकारी एजेंसियों को उत्पादकता घटाये बिना कई और किस्में लाने के लिए मिलकर काम करने की आवष्यकता है: डॉ. देवेश चतुर्वेदी

लखनऊ, 22 जनवरी 2023: ”कोविड के दौरान हम सबने देखा कि मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के लोग भी असंतुलित आहार का सेवन कर रहे थे। निजी और सरकारी एजेंसियों को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि उत्पादकता को कम किए बिना कई और किस्मों को सामने लाया जा सके। इसमें हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इसमें मिट्टी की सेहत भी खराब न हो।“ यह बातें अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि, उत्तर प्रदेश सरकार डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहीं। वह गुरूवार को फिक्की, गेन, सिंजेन्टा फाउंडेशन इंडिया और हार्वेस्ट प्लस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘बायोफोर्टिफिकेशन- ए पाथवे टू इम्प्रूव इंडियाज न्यूट्रिशनल आउटकम्स’विषय पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहीं। 

इस सम्मेलन का उद्देश्य सभी हितधारकों को कुपोषण मिटाने में बायोफोर्टिफाइड फसलों की संभावनों की रूपरेखा तैयार करने और देश में बायोफोर्टिफाइड फसलों की क्षमता को उजागर करने के लिए नीति और परिचालन स्तर पर जरूरी कार्यों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच प्रदान करना है।

2050 तक दुनिया की आबादी 9.8 अरब तक पहुंचने की संभावना है। इस दृश्टि से देखें तो, कृषि उत्पादन और इसकी आपूर्ति श्रृंखला जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी जैसे मौजूदा वैश्विक संकटों के लिए बहुत कमजोर है। सम्मेलन में टिकाऊ, उत्तरदायी, समावेशी और न्यायसंगत तरीके से बायोफोर्टिफाइड फसल क्षेत्र के विकास में तेजी लाने के लिए नीति और वित्तीय सहायता के माध्यम से और ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी विचार किया गया। 

 फिक्की द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में बायोफोर्टिफाइड फसलों के माध्यम से कुपोषण उन्मूलन के अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारीगण, वैज्ञानिकों, किसानों, शोधकर्ताओं और उद्योगपतियों सहित हितधारकों के एक विविध समूह को एक साथ लाया गया।

 अपने की नोट एड्रेस में नाबार्ड, उत्तर प्रदेश के मुख्य महाप्रबंधक श्री एस के डोरा ने कहा, ”भारत में 14 प्रतिषत लोग कुपोषित हैं। बच्चों का एक बड़ा प्रतिशत मानक से कम वजन का है, तमाम महिलाएं एनीमिक हैं। इससे भूख की समस्या सामने आई है जो सामान्यतः दिखायी नहीं देती है। खाद्यान्नों में सूक्ष्म पोषक तत्वों को बढ़ाकर हम बड़े पैमाने पर इस छिपी हुई भूख की समस्या का समाधान कर सकते हैं। बायोफोर्टिफिकेशन अनाज विटामिन ए की 100 प्रतिषत, आयरन की 80 प्रतिषत और जिंक की 70 प्रतिषत आवश्यकता को पूरा करेगा। 

श्री इशांक गोर्ला, गेन के प्रोग्राम लीड-सीबीसीपी ने कहा, ‘‘बीते वर्शों में, भारत मध्याह्न भोजन के माध्यम से भोजन में कमी को पूरा करने तथा भोजन फोर्टिफिकेशन जैसी रणनीति अपनाई गईं हैं। इसके साथ ही जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से संतुलित आहार के लिए अधिक बाजरा खाने पर भी बल दिया गया है। बायोफोर्टिफिकेशन टिकाऊ भी है और सरकार की अन्य नीतियों का पूरक है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक काम करने की जरूरत है कि हमारी फसलें जलवायु परिवर्तन के प्रति भी अधिक लचीली हों।“

 हार्वेस्टप्लस के क्षेत्रीय समन्वयक-एशिया, श्री रविंदर ग्रोवर, ने थीम एड्रेस में कहा किा, ‘‘सभी कुपोषित बच्चों का 70 प्रतिषत एशिया में रहते हैं। कुपोषण और छिपी हुई भूख से निपटने के लिए 12 बिलियिन डाॅलर  खर्च किए गए। अर्थव्यवस्था के लिए इन खतरों को सामने देखकर 20 साल पहले हमने हमारे हमारे देश में यह यात्रा 20 साल पहले एक सवाल के साथ शुरू की थी, ‘‘क्या होगा अगर हम अपने पौधों के लिए कुछ ऐसा करें कि वे मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक पौष्टिक बन जाएं?“ ‘‘ और यही बायोफोर्टिफिकेशन के पीछे का विचार था। आज हमारे पास मुख्य फसलों की 400 से अधिक किस्में हैं जो बायोफोर्टिफाइड हैं।“

 एग्री एंटरप्रेन्योर ग्रोथ फाउंडेशन के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्री पंकज शुक्ला ने कहा, ”आज हम जिस नई चुनौती का सामना कर रहे हैं वह छिपी हुई भूख है। यह मूल रूप से मनुष्य के शरीर में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी है। इन समस्याओं से निपटने के लिए बायोफोर्टिफिकेशन एक टिकाउ तरीका है। बायोफोर्टिफिकेशन फसलों की भी कोई आवर्ती लागत नहीं होती है क्योंकि एक बार किस्म विकसित हो जाने के बाद, इसके बाद किसी और लागत की आवश्यकता नहीं होती है।

 इस सम्मेलन में श्री अनिल कुमार सागर, उप निदेशक कृषि, उत्तर प्रदेश सरकार, श्री राजीव दायमा, उप महाप्रबंधक, नाबार्ड, श्री अभिषेक अवस्थी, एसपीएम लाइवलीहुड फार्म, यूपी सहित कई अन्य मुख्य और पैनल डिसकसन शामिल थीं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, जीओयूपी, सुश्री तरुना सिंह, पोषण विशेषज्ञ, मध्याह्न भोजन प्राधिकरण, बेसिक शिक्षा, जीओयूपी, श्री अरब्धा दास, निदेशक कार्यक्रम उत्कृष्टता, ग्रामीण फाउंडेशन इंडिया, श्री मोरूप नामगैल, प्रमुख - एग्रीटेक, इफको किसान, डाॅ. सत्येन यादव, संस्थापक, इंडिया मिलेट इनिशिएटिव, अध्यक्ष, एचपीएमआई, प्रो. विनोद कुमार मिश्रा, प्रोफेसर, आनुवंशिकी विभाग और पादप प्रजनन कृषि विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, और डाॅ. सी. नीरजा, प्रधान वैज्ञानिक और समन्वयक- सीआरपी बायोफोर्टिफिकेशन, आईआईआरआर- आईसीएआर, श्री प्रतीक उनियाल, प्रोग्राम मैनेजर, सीबीसी इंडिया, हार्वेस्टप्लस-आईएफपीआरआई आदि उपस्थित थे।

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