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समाज में महिला एवं युवतियों को आत्मनिर्भर बनाए बिना आत्मनिर्भर भारत का सपना अधूरा रहेगा : लक्ष्मी एम पुरी

समाज में महिला एवं युवतियों को आत्मनिर्भर बनाए बिना आत्मनिर्भर भारत का सपना अधूरा रहेगा : लक्ष्मी एम पुरी

लखनऊ : सशक्त भारत की दिशा में महिलाओं एवं युवतियों को आत्मनिर्भर बनाये बिना भारतवर्ष को आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना पूरा नहीं हो सकता। भारतवर्ष घनी आबादी वाला प्रगतिशील देश का प्रतिनिधित्व करता है। यह पूरे विश्व में लैंगिक समानता हासिल करने में सूक्ष्म एवं स्थूल स्थान रखता है। देश में महिलाओं और युवतियों को शिक्षा, कौशल और कैरियर के हर क्षेत्र में विश्वास के साथ साथ सशक्त बनाना होगा, जिससे वे आगे बड़कर किसी भी क्षेत्र में महारथ हासिल कर सकें। नारी शक्ति के आत्मनिर्भर बनने पर हमारी सरकार, हमारा समाज, देश की अर्थव्यवस्था, देश और मानवता हर क्षेत्र बड़े पैमाने पर इसका फायदा मिलेगा। 'प्रभा खेतान फाउंडेशन' (पीकेएफ) एवं 'एजुकेशन फॉर ऑल' ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित 'बेहतर कल के लिए लड़कियों का सशक्तिकरण' विषय पर आधारित 'मुस्कान' नामक ऑनलाइन सत्र को संबोधित करते हुए सुश्री लक्ष्मी एम पुरी ने यह बातें कही।  

सुश्री लक्ष्मी एम पुरी एक पूर्व आईएफएस अधिकारी और राजदूत हैं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रभाग में अंकटाड के निदेशक के रूप में 15 वर्षों तक सेवा की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव और अनवूमेन की संस्थापक उप कार्यकारी निदेशक के रूप में भी कार्य किया। सुश्री पुरी इंडियन एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (आइएआइएस) की प्रतिष्ठित फेलो हैं और मानवाधिकारों के लिए प्रतिष्ठित एलेनोर रूजवेल्ट पुरस्कार को प्राप्त कर चुकीं हैं।

सुश्री पुरी 'मुस्कान' के ऑनलाइन वेबिनार सत्र में प्रमुख अतिथि एवं वक्ता थीं, इस सत्र में देशभर से प्रधानाध्यापक, स्कूली छात्र, शिक्षक और अभिभावक शामिल हुए थे। साउथ सिटी इंटरनेशनल स्कूल (कोलकाता) के संस्थापक-प्रिंसिपल श्री जॉन बागुल ने सत्र की शुरुआत की। प्रभा खेतान फाउंडेशन की कार्यक्रम सलाहकार सुश्री सुमित्रा रे ने इसका संचालन किया। इस सत्र में सुश्री पुरी ने कहा, सभी लड़कियों के लिए मेरा संदेश है कि आप सतत विकास के लक्ष्यों या एसडीजी के पथ प्रदर्शक बनें। अपने घर से संकल्प की शुरूआत करें और जीवन में सफलता पाने लगातार प्रयासरत रहें।

नारीवादी और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, ग्लोरिया स्टीनहेम का उदाहरण देते हुए पुरी ने कहा, आपको हर दिन, हर जगह और हर तरह से इसके लिए कोशिश करते रहना होगा। लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए आपको अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए खड़ा होना होगा और दूसरों को अपने कारण में बदलना होगा। आप लैंगिक समानता की मांग करें और खुद रोल मॉडल और बदलाव लाने वाला बनें।

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों से जुड़े कुछ प्रमुख विचारों की ओर इशारा करते हुए सुश्री पुरी ने कहा, संयुक्त राष्ट्र द्वारा लैंगिक समानता मानवता के लिए इस सदी की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना का सार, इस मान्यता को पहचानना और उस पर कार्य करना है कि लड़कों और लड़कियों की तरह पुरुषों और महिलाओं का समाज में एक समान अधिकार देना है। एक बार जब आप ऐसा कर लेते हैं, तो लिंग आधारित भेदभाव उत्पन्न नहीं होता है और इसे उत्पन्न होना भी नहीं चाहिए।

सुश्री पुरी ने युवा महिला दर्शकों से खुद को संगठित करने और लैंगिक समानता के लिए अधिवक्ता और नेता बनने के लिए आगे आने के साथ डिजिटल क्रांति और टेक4.0 का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, आपकी वह पीढ़ी होनी चाहिए जो समाज में 50:50 के अनुपात के साथ बदलाव के रास्ते पर आगे बढ़ते जायें। युवा लड़कों को अपने आप को पुरुषत्व और श्रेष्ठता की विषाक्त और आक्रामक धारणाओं के बोझ से मुक्त होना चाहिए, इसके साथ लैंगिक समानता के उस अमृत रुपी सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

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