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अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर श्रम मंत्री की श्रमिक परिवारों से अपील ‘अपने बच्चों को पढ़ाएं, मजदूरी ना कराएं‘



अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर श्रम मंत्री की श्रमिक परिवारों से अपील ‘अपने बच्चों को पढ़ाएं, मजदूरी ना कराएं‘

लखनऊः दिनांकः 12 जून, 2021, प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर कहा कि प्रदेश सरकार बाल श्रम उन्मूलन के लिए संकल्पित है। बच्चों से बाल श्रम कराया जा रहा यह एक लोक कल्याणकारी सरकार के लिए चुनौती है तथा सभ्य समाज के लिए अभिशाप भी है। बाल श्रम मजदूरी पर रोक लगे, इसके लिए सभी को मिल-जुलकर सशक्त पहल करनी होगी। उन्होंने बाल श्रम उन्मूलन के लिए हाट, बाजार, गांव, शहर, कस्बों में जन जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही बाल श्रमिकों के माता-पिता एवं नियोक्ता को भी जागरूक करने के निर्देश दिए।

श्रम मंत्री आज अपने 14 कालिदास मार्ग आवास में विभागीय अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की। इसमें सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि तथा बाल श्रम से पीड़ित बच्चे एवं उनका परिवार भी शामिल हुआ। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न जिलों से बालश्रम से मुक्त कराए गए बच्चों व उनके अभिभावकों से भी सीधे संवाद स्थापित कर योजनाओं का लाभ मिलने के बारे में जानकारी ली। उन्होंने श्रमिक परिवारों से अपील की कि वे अपने बच्चों को पढ़ाएं, बच्चों से मजदूरी ना कराएं। उन्होंनेे कहा कि श्रमिक परिवार इस नारे को चरितार्थ करने में सहयोगी बने कि ‘‘पढ़े बेटियां, बढ़े बेटियां‘‘ बेटियों को पढ़ाने में किसी भी प्रकार की रुकावट ना आने पाए। प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक बच्चों की पढ़ाई के लिए श्रम विभाग सहायता देता है। उन्होंने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि मन लगाकर खूब पढ़ाई करें। उन्होंने कहा कि बाल श्रमिक परिवार के ऐसे सदस्य जो निर्माण श्रमिक की पात्रता में आते हैं, उन्हें उ0प्र0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की योजनाओं से जोड़ा जाएगा तथा शेष श्रमिकों को उ0प्र0 सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की योजनाओं से जोड़ा जाएगा, जिसका शुभारंभ 07 जून को मुख्यमंत्री जी ने किया था।

 श्रम मंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि इन बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। ऐसे बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराकर विद्यालय में प्रवेश दिलाया जाए तथा उनके परिवार के लोगों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाया जाए, जिससे कि वह आर्थिक कारणों से अपने बच्चों से बाल श्रम कराने के लिए मजबूर ना हो। उन्होंने कहा कि गत वर्ष आज के ही दिन मुख्यमंत्री जी ने बाल श्रमिक विद्या योजना का शुभारंभ किया था। इसके तहत ऐसे परिवार जो आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं तथा अपने बच्चों को भी अपनी आय का साधन मानते हैं और उस पर निर्भर भी हैं, ऐसे परिवार को प्रति बालक रू0 1000 तथा प्रति बालिका 1200 रुपए प्रतिमाह दिया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 20 जिलों में यूनीसेफ के सहयोग से तथा समाज के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स की सहायता से नया सवेरा योजना का संचालन किया जा रहा है, जिसके माध्यम से कामकाजी बच्चों को कार्य से पृथक कर विद्यालयों में प्रवेश दिलाया जाता है तथा उनके माता-पिता एवं परिवार के सदस्यों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं से लाभान्वित किया जाता है।

मंत्री जी द्वारा लखनऊ जनपद के ऐसे अभिभावकों को लाभ वितरित किया गया, जिनके बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराया गया तथा उनके परिवार के सदस्यों को उ0प्र0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत किया गया, जिसमें सुश्री सुशीला व सुमित्रा देवी को रू0 2,25,000, श्रीमती राजकुमारी, शैल कुमारी, शोभावती, निर्मला शर्मा, मिथिलेश शर्मा को आपदा राहत योजना के तहत रू0 1000 की धनराशि उपलब्ध कराई गई। इसी तरह प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस अवसर पर बाल श्रमिक परिवारों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान किया गया।

 प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन श्री सुरेश चंद्र ने कहा कि श्रम विभाग द्वारा प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन हेतु विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है। शासन के निर्देशों के अनुसार सभी जिलाधिकारी प्रत्येक तिमाही बाल श्रमिकों के चिह्नांकन व उनके पुनर्वासन हेतु विशेष अभियान चलाते है। समय-समय पर बाल श्रम से जुड़े विभिन्न स्टेकहोल्डर्स की क्षमता वृद्धि हेतु कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है तथा बाल श्रम से संबंधित कानूनों का भी परिवर्तन किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार कामकाजी बच्चों की कुल संख्या 21.70 लाख है, जिसमें सर्वाधिक बच्चे जनपद लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, गोरखपुर, बलिया, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, प्रयागराज, कानपुर, आगरा, बरेली, बदायूं, गाजियाबाद, मुरादाबाद में है। उन्होंने बताया कि बाल श्रम अधिनियम के अंतर्गत प्रतिवर्ष 2000 से 3000 बच्चों को चिन्हित कर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाता है। गत वर्ष 2746 बच्चों को चिन्हित किया गया। प्रदेश के 20 जिलों में नया सवेरा योजना संचालित है, जिसके माध्यम से 33,582 बच्चों को चिन्हित किया गया। इनमें से अब तक 26,933 बच्चों को पुनर्वासित किया जा चुका है तथा उनके माता-पिता व अभिभावकों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ भी दिया गया है।

 इस अवसर पर यूनिसेफ चीफ, लखनऊ सुश्री रूथ लियानो ने कहा कि वैश्विक स्तर पर महामारी के कारण 2022 के अंत तक 09 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का खतरा है। इन्हें सामाजिक सुरक्षा ना मिलने पर यह संख्या और भी बढ़ सकती है। उन्होंने आईएलओ और यूनिसेफ की ओर से बाल श्रम को पूर्णतया रोकने का आग्रह किया। उन्होंने सार्वभौमिक बच्चों के हितलाभ, सभी के पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा, कोविड-19 के बाद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर खर्च में वृद्धि और सभी बच्चों को वापस स्कूल में लाना कैसे सुनिश्चित हो, इस पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बाल श्रम को प्रभावित करने वाले सभी हानिकारक लिंग मानदंडों, परंपरा एवं भेदभाव का अंत होना चाहिए। साथ ही बाल संरक्षण प्रणालियों, कृषि विकास, ग्रामीण सार्वजनिक सेवाओं, बुनियादी ढांचे और आजीविका के निवेश में वृद्धि हो।

 कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन अपर श्रमायुक्त श्री फैसल आफताब द्वारा किया गया। इस अवसर पर अपर श्रमायुक्त लखनऊ क्षेत्र श्री बी0के0 राय, राज्य समन्वयक श्री सैयद रिजवान अली मौजूद थे

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