Skip to main content

भारतीय संस्कृति ‘विश्व बन्धुत्व’ को अपनाने का समय आ गया है - देश-विदेश के विचारकों का मत

 

सी.एम.एस. अशर्फाबाद कैम्पस द्वारा आयोजित ‘इण्टरफेथ हार्मनी कान्फ्रेन्स’ सम्पन्न

भारतीय संस्कृति ‘विश्व बन्धुत्व’ को अपनाने का समय आ गया है - देश-विदेश के विचारकों का मत

लखनऊ, 4 फरवरी। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अशर्फाबाद कैम्पस द्वारा आॅनलाइन आयोजित ‘इण्टरफेथ हार्मनी कान्फ्रेन्स’ के दूसरे दिन आज विभिन्न देशों के विचारकों, विद्वजनों व विभिन्न धर्मावलम्बियों ने एक स्वर से कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुसार ‘विश्व बन्धुत्व’ की भावना को अपनाने का समय अब आ गया है क्योंकि विश्व के सभी धर्मों का उद्देश्य विश्व एकता व मानव मात्र में एकता व प्रेम का संचार करना है। इण्टरफेथ सम्मेलन में जहाँ एक ओर स्विटजरलैंड के एलिन वेयर, अमेरिका के हाँग ताओ जी एवं ब्राजील से डिविना राबर्टो वैरिसिमो ने अपने सारगर्भित विचारों से धर्म का मर्म उजागर किया तो वहीं दूसरी ओर विभिन्न धर्मावलम्बियों ने भी आॅनलाइन उपस्थिति ने सर्वधर्म समभाव का अनूठा आलोक बिखेरा। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. अशर्फाबाद कैम्पस द्वारा आयोजित दो-दिवसीय इण्टरफेथ हार्मनी कान्फ्रेन्स में रूस, ब्राजील, अमेरिका, स्विटजरलैण्ड, इजिप्ट एवं भारत के प्रख्यात विचारकों व धर्मावलम्बियों ने प्रतिभाग किया। यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘सस्टेनबल डेवलपमेन्ट थु्र साॅलिडरिटी’ थीम पर आयोजित किया गया।

      सम्मेलन के अन्तर्गत दूसरे दिन की परिचर्चा में प्रतिभाग करते हुए स्विटजरलैंड के विचारक श्री एलिन वेयर ने कहा कि दुनिया में धर्म का विशिष्ट स्थान है और यह शान्ति व एकता स्थापित करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलनों का आयोजन अधिक से अधिक होना चाहिए। अमेरिका के हाँग ताओ जी ने कहा कि विकास की गति समाज के विभिन्न धर्मों के बीच शान्तिपूर्ण वार्तालाप से आगे बढ़ सकती है। डिविना राबर्टो वैरिसिमा अपनी बात रखते हुए कहा कि धर्म सामाजिक जागरूकता हैं और यह तोड़ता नही बल्कि जोड़ता हैं। जैन धर्मावलम्बी आचार्य डा. लोकेश मुनि ने कहा कि धर्म के मर्म को समझने से ही समाज में शान्ति तथा एकता की स्थापना होगी। सिख धर्मानुयायी श्री हरपाल सिंह जग्गी ने कहा कि वर्तमान समय में यह आवश्यक है कि हम विभिन्न धर्मो को जानें व सभी के प्रति प्रेमभाव रखे। हिन्दू धर्मावलम्बी श्री जे. एम. दवे ने कहा कि अन्तर-धार्मिक संवाद व वार्तालाप से धार्मिक भ्रान्तियाँ मिटती हैं। बौद्ध धर्मानुयायी श्री एन.एस. आनन्द ने कहा कि समाज में एकता व शान्ति स्थापित करना ही धर्म का उद्देश्य है। इस्लाम धर्मावलम्बी मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि सभी धर्मों के प्रति समान आदर व सम्मान का भाव रखें। सर्वधर्म समभाव आज की पहली आवश्यकता है। इसी प्रकार, इस्लाम धर्मावलम्बी मौलाना कल्बे नूरी ने जनमानस को सभी धर्मों की पवित्र पुस्तकों को पढ़ने एवं उनके विचारों का आत्मसात करने का आह्वान किया।

      सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने देश-विदेश के सभी विद्वजनों व धर्मावलम्बियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से सभी धर्मावलम्बियों के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर विचार-विमर्श से जो मित्रता व सद्भावना का वातावरण निर्मित हुआ है, वह इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है और यही भावना भावी पीढ़ी में सौहार्द व भाईचारे के लिए प्रेरणास्रोत साबित होगी। सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने कहा कि ज्ञान का प्रकाश ही सामाजिक भ्रान्तियों को मिटाने में सक्षम है। सम्मेलन की संयोजिका एवं सी.एम.एस. अशर्फाबाद कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती तृप्ति द्विवेदी ने इस अवसर पर सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। 

Comments

Popular posts from this blog

आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है!

-आध्यात्मिक लेख  आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते हुए

लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन

लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन स्मारक कर्मचारियों ने किया कार्य बहिष्कार कर्मचारियों ने विधानसभा घेराव का किया ऐलान जानिए किन मांगों को लेकर चल रहा है प्रदर्शन लखनऊ 2 जनवरी 2024 लखनऊ में स्मारक समिति कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन स्मारक कर्मचारियों ने किया कार्य बहिष्कार और कर्मचारियों ने विधानसभा घेराव का भी है किया ऐलान इनकी मांगे इस प्रकार है पुनरीक्षित वेतनमान-5200 से 20200 ग्रेड पे- 1800 2- स्थायीकरण व पदोन्नति (ए.सी.पी. का लाभ), सा वेतन चिकित्सा अवकाश, मृत आश्रित परिवार को सेवा का लाभ।, सी.पी. एफ, खाता खोलना।,  दीपावली बोनस ।

आईसीएआई ने किया वूमेन्स डे का आयोजन

आईसीएआई ने किया वूमेन्स डे का आयोजन  लखनऊ। आईसीएआई ने आज गोमतीनगर स्थित आईसीएआई भवम में इन्टरनेशनल वूमेन्स डे का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन, मोटो साॅन्ग, राष्ट्रगान व सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। शुभारम्भ के अवसर पर शाखा के सभापति सीए. सन्तोष मिश्रा ने सभी मेम्बर्स का स्वागत किया एवं प्रोग्राम की थीम ‘‘एक्सिलेन्स / 360 डिग्री’’ का विस्तृत वर्णन किया। नृत्य, गायन, नाटक मंचन, कविता एवं शायरी का प्रस्तुतीकरण सीए. इन्स्टीट्यूट की महिला मेम्बर्स द्वारा किया गया। इस अवसर पर के.जी.एम.यू की सायकाॅयट्रिक नर्सिंग डिपार्टमेन्ट की अधिकारी  देब्लीना राॅय ने ‘‘मेन्टल हेल्थ आफ वर्किंग वूमेन’’ के विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में लखनऊ शाखा के  उपसभापति एवं कोषाध्यक्ष सीए. अनुराग पाण्डेय, सचिव सीए. अन्शुल अग्रवाल, पूर्व सभापति सीए, आशीष कुमार पाठक एवं सीए. आर. एल. बाजपेई सहित शहर के लगभग 150 सीए सदस्यों ने भाग लिय।