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10वें दिन काला फीता बांधकर प्रदर्शन के बाद जिलाधिकारी और ईमेल से ज्ञापन भेजा

10वें दिन काला फीता बांधकर प्रदर्शन के बाद जिलाधिकारी और ईमेल से ज्ञापन भेजा

  • पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति दूर करने सहित पुराने समझौतों को लागू करने की मांग पर प्रदेश के सभी जनपदों में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का कार्यक्रम
  • सोमवार से जनजागरण अभियान प्राम्भ होगा जो 17 मार्च तक चलेगा , 18 मार्च को हर जनपद में धरना प्रदर्शन

लखनऊ, पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति दूर करने, भत्तो की समानता सहित मुख्य सचिव के साथ हुए समझौतों पर कार्यवाही न होने से राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के आह्वान पर प्रदेश भर के कर्मचारियों ने  लगातार दसवें दिन भी काला फीता बांधकर कार्य किया और जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भेजा , साथ ही ज्ञापन की एक प्रति ईमेल द्वारा मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव कार्मिक को भेजा । 

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि अनेक आन्दोलनो के माध्यम से शासन व सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया था, जिसके फलस्वरूप शासन स्तर पर हुई बैठक में परिषद की प्रमुख मांगो पर अनेक समझौते/निर्णय भी लिये गये थे लेकिन उनका क्रियान्वयन नही हुआ ।  जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है । परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि सोमवार से जनजागरण अभियान प्राम्भ होगा जो 17 मार्च तक चलेगा , 18 मार्च को हर जनपद में धरना प्रदर्शन होगा । 

श्री अतुल मिश्रा के अनुसार- चिकित्सा विभाग के फार्मेसिस्ट, आप्टोमेट्रिस्ट, लैब टेक्निशियन सहित अन्य संवर्गों की वेतन विसंगति केन्द्र सरकार द्वारा दूर की जा चुकी है परन्तु समझौतो के बावजूद प्रदेश में अभी वेतन विसंगति लम्बित है। अन्य संवर्गो की वेतन विसंगति एवं वेतन समिति की संस्तुतियों एवं शेष भत्तों पर अक्टूबर 2018 में ही मंत्रिपरिषद से निर्णय कराने का निर्णय लिया गया था जो एक वर्ष बाद भी अभी तक लम्बित है।

 केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में 03 लाख आउटसोर्सिंग/संविदा/ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों हेतु स्थाई नीति बनाने, सी0एस0डी0 कैन्टीन की भॉति राज्य कर्मचारियों को भी राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के माध्यम से स्टेट जी0एस0टी0 मुक्त सामग्री क्रय की सुविधा का लाभ तथा कर्मचारी कल्याण निगम कर्मियों की बदहाली दूर करने की मांग पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि कल्याण निगम के सामानों में लगने वाली जी॰एस॰टी॰ का 50 प्रतिशत भार सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। इस निर्णय के विपरीत वित्त विथाग द्वारा कल्याण निगम को बन्द करने का सुझाव दिया गया है, जिससे समझौते का क्रियान्वयन तो दुर वहां के कर्मचारियों की सेवा पर ही तलवार लटक गई है। 

परिषद की मांग पर वेतन विसंगति एवं वेतन समिति की संस्तुतियॉ एवं शेष बचे भत्तों पर मंत्रिपरिषद से अनुमोदन लिये जाने, पूर्व विनियमित कर्मचारियों की अर्हकारी सेवाएं को जोड़ते हुए पेंशन निर्धारित करने, डिप्लोमा इंजीनियर्स की भॉति ग्रेड वेतन 4600/- को इग्नोर करके 4800/- के ग्रेड वेतन के समान मैट्रिक्स लेवल अनुमन्य करने, उपार्जित अवकाश में 300 दिन के संचय की सीमा को समाप्त करने, राजस्व संवर्ग सींच पर्यवेक्षक, जिलेदार सेवा नियमावली, एवं तकनीकी पर्यवेक्षक नलकूप सेवानियमावली, अधीनस्थ वन सेवा नियमावली प्रख्यापित करने, सभी संवर्गो का पुनर्गठन, जिनकी सेवा नियमावली प्रख्यापित नही हैं, उसे प्रख्यापित कराने का निर्णय लिया गया था । संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियो की स्थाई नीति न होने से कर्मचारियों का लगातार शोषण हो रहा है। कुछ विभागों में पूर्व से चली आ रही योजनाओं के कार्मिकों को सेवा से बाहर किए जाने की नोटिस पकडा़ दी गयी।

 अनेक ऐसे संवर्ग है जिनमें छठे वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां व्याप्त है, वित्त विभाग द्वारा एक माह में परीक्षण कर कार्यवाही कराने का निर्देश दिया गया था परन्तु अभी तक उसपर कोई कार्यवाही सम्पन्न नही हुई है। केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति भत्तों की समानता, वाहन भत्ता एवं मकान किराए भत्तें के संशोधन के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नही की गयी, जिससे केन्द्रीय एवं राज्य कर्मचारियों को प्राप्त हो रहे भत्तों में बड़ा अन्तर आ गया है। 

डिप्लोमा इंजीनियर के भांति सभी राज्य कर्मचारियों को रू0 4600/- ग्रेड पे को इग्नोर करते हुए रू0 4800 के समतुल्य मैट्रिक्स लेवल वेतनमान प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा पुनः परीक्षण किये जाने का निर्णय लिया गया था। प्रदेश में सीधी भर्ती अधिकतम आयु 40 वर्ष के दृष्टिगत ए0सी0पी0 में 08, 16 एवं 24 वर्ष की सेवा पर तीन पदोन्नति वेतनमान दिये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा अभी तक परीक्षण कर कोई प्रस्ताव नही बनाया गया । उपार्जित अवकाश के संचय की तीन सौ दिन की सीलिंग समाप्त कर सेवा निवृत्ति पर 600 दिनों का नकदीकरण दिये जाने के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा परीक्षण कर प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने का निर्णय लिया गया था, जिसपर एक वर्ष के पश्चात भी कोई कार्यवाही नही की गयी है। इस बींच कई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उन्हे आर्थिक नुकसान हो रहा है। 

यह भी निर्णय लिया गया था कि एक समान शैक्षिक योग्यता वाले संवर्गों को एक समान वेतन भत्ते अनुमन्य किए जाये चाहे वे किसी भी विभाग में कार्यरत हो, परन्तु वित्त विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नही हो सकी है। बार-बार समझौतों के बावजूद कर्मचारियों की कैशलेस चिकित्सा अभी तक प्रारम्भ नही हो सकी जबकि पूर्व से मिल रहे चिकित्सा प्रतिपूर्ति भूगतान हेतु बजट के अनुदान की ग्रुपिंग में फेरबदल कर उसे और जटिल बना दिया गया, यहा तक कि सरकारी चिकित्सालयों में दवाओं के लोकल परचेज पर भी रोक लगा दी गयी।  

परिषद ने मुख्य मंत्री को ज्ञापन भेजकर  मांग की है कि समझौतो का क्रियान्वयन कराने का निर्देश जारी करें साथ ही कर्मचारियों के उत्पीड़न को रोके । 

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