विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन सी.एम.एस. में
- 6 नवम्बर से, 63 देशों के मुख्य न्यायाधीश व कानूनविद् करेंगे प्रतिभाग
लखनऊ, 4 नवम्बर। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 21वाँ अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ 6 से 9 नवम्बर 2020 तक आॅनलाइन आयोजित किया जा रहा है। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद के अध्यक्ष, न्यायमंत्री, संसद सदस्य, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश एवं विश्व प्रसिद्ध शान्ति संगठनों के प्रमुख समेत 63 देशों के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् आॅनलाइन अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे एवं विश्व के ढाई अरब से अधिक बच्चों के सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य हेतु एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर विचार-विमर्श करेंगे। उक्त जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि सम्मेलन के प्रतिभागी देशों में अफगानिस्तान, अल्जीरिया, अर्जेन्टीना, आस्ट्रेलिया, बेनिन, भूटान, बोलिविया, बोस्निया एण्ड हर्जेगोविना, ब्राजील, कैमरून, सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कम्बोडिया, कोमोरोस, कांगो, कोस्टारिका, क्रोएशिया, इक्वाडोर, इजिप्ट, इश्वातिनी, फिजी, जर्मनी, घाना, गुयाना, हैती, इजराइल, इटली, जापान, किर्गिज रिपब्लिक, लिेसोथो, लीबिया, मलावी, माल्टा, माॅरीशियाना, माॅरीशस, मैक्सिको, मंगोलिया, मोरक्को, मोजाम्बिक, नेपाल, नीदरलैण्ड, पेरू, फिलीपीन्स, रूस, सियरा लिओन, स्लोवेनिया, सोमालिया, साउथ अफ्रीका, साउथ कोरिया, साउथ सूडान, सूडान, सूरीनाम, स्विटजरलैण्ड, ताईवान, तंजानिया, थाईलैण्ड, टोगो, त्रिनिदाद एण्ड टोबैगो, टर्की, यूनाइटेड किंगडम, युगांडा, यू.एस.ए., जाम्बिया एवं भारत प्रमुख हैं।
श्री शर्मा ने बताया कि यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51’ पर आधारित यह ऐतिहासिक सम्मेलन विश्व एकता, विश्व शान्ति एवं विश्व के ढाई अरब से अधिक बच्चों के सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य को समर्पित है। सम्मेलन का उद्घाटन 6 नवम्बर को सायं 5.00 बजे रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा किया जायेगा जबकि समारोह की अध्यक्षता लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया करेंगी। 7 नवम्बर को सम्मेलन को प्रातःकालीन सत्र के उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ जी को प्रातः 10.00 बजे आमन्त्रित किया गया है। इस अवसर पर राज्यसभा सदस्य श्री सुधांशु त्रिवेदी विशिष्टि अतिथि होंगे। 7 नवम्बर को अपरान्हः सत्र का शुभारम्भ मुख्य अतिथि व राजस्थान के राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा अपरान्हः 2.00 बजे किया जायेगा सायं कालीन सत्र का शुभारम्भ मुख्य अतिथि श्री हृदय नारायण दीक्षित, विधानसभा अध्यक्ष, उ.प्र. द्वारा सायं 7.00 बजे किया जायेगा। 8 नवम्बर को प्रातःकालीन सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री केशव प्रसाद मौर्य, उप-मुख्यमंत्री, उ.प्र. द्वारा प्रातः 10.00 बजे किया जायेगा जबकि अपरान्हः सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि डा. दिनेश शर्मा, उप-मुख्यमंत्री, उ.प्र. द्वारा अपरान्हः 3.00 बजे किया जायेगा तथापि सायंकालीन सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक, कानून एवं न्यायमंत्री, उ.प्र. द्वारा सायं 7.00 बजे किया जायेगा। सम्मेलन के आखिरी दिन 9 नवम्बर को प्रातःकालीन सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री हरदीप सिंह पुरी, नागरिक उड्डयन मंत्री, भारत सरकार द्वारा प्रातः 10.00 बजे किया जायेगा अपरान्हः सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. आलोक कुमार राय, वाइस चांसलर, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा अपरान्हः 3.00 बजे एवं सायंकालीन सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. सुबीर के. भटनागर, वाइस चांसलर, डा. राम मनोहर लोहिया नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा सायं 7.00 बजे किया जायेगा।
श्री शर्मा ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में क्रोएशिया के पूर्व राष्ट्रपति श्री स्टीपन मेसिक, हैती के प्रधानमंत्री श्री जीन हेनरी सिएन्ट, हैती के पूर्व राष्ट्रपति जोसलर्मे प्रिवर्ट, लेसोथो के पूर्व प्रधानमंत्री डा. पकालिथा बी. मोसिलिली, माॅरीशस के पूर्व राष्ट्रपति श्री कासम उतीम, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति श्री कगामा मोटलैन्थ, त्रिनिदाद एवं टोबैगो के पूर्व राष्ट्रपति एन्थोनी थाॅमस अकीनास कार्मोना, घाना के संसद अध्यक्ष प्रो. एरोन मिशैल ओकाये, सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक के संसद अध्यक्ष श्री मोउसा लारेन्ट नगान बाबा, कम्बोडिया के वरिष्ठ मंत्री एंग वांग वथाना, इण्टरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट, नीदरलैण्ड के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एन्टोनी केसुआ-एमबीई मिन्डुआ, ताईवान के शान्ति संगठन फोपाल के प्रेसीडेन्ट डा. हांग ताओ जी एवं जापान के शान्ति संगठन ब्याको शिंको काई की प्रेसीडेन्ट सुश्री मसामी सायोन्जी आदि अपनी गरिमामय उपस्थिति से सम्मेलन का गौरव बढ़ायेंगे। श्री शर्मा ने विश्वास व्यक्त किया कि यह महासम्मलेन दुनिया को एकता के सूत्र में पिरोने और विश्व के ढाई अरब बच्चों का भविष्य बचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा और पूरे विश्व समाज को एक नई दिशा देगा।
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