41,682 केस...30 साल से इंसाफ का इंतजार,
हैदराबाद की पशु चिकित्सक से हैवानियत करने वाले आरोपियों के साथ जो हुआ, उस पर पूरा देश बंटा दिख रहा है। कोई पुलिस के एनकाउंटर को सही 'इंसाफ' बता रहा है, तो कोई इसे न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करार दे रहा है।
देश में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो दिशा के हत्यारों के एनकाउंटर से खुश हैं। आखिर ऐसा क्यों...?
अंग्रेजी में कहावत है, 'जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड' मतलब न्याय में देरी का मतलब न्याय नहीं मिलना ही है। देश में लंबित आपराधिक मुकदमों पर नजर दौड़ाएं तो यह कहावत काफी हद तक चरितार्थ होती दिखती है।
न्याय के लिए इंतजार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश की जिला व तालुका अदालतों में 3 करोड़ 17 लाख 35 हजार 214 कुल मामले लंबित हैं। इनमें से 2 करोड़ 27 लाख 95 हजार 420 केस आपराधिक हैं। दुष्कर्म और बच्चों से दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में जल्द फैसले के लिए देश में 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का प्रस्ताव है। इसके बावजूद इंसाफ पाने की राह बहुत ही लंबी दिख रही है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक देशभर में 1023 फास्ट ट्रैक गठित करने का प्रस्ताव है। इनमें से 400 पर सहमति बन भी चुकी है और 160 तो शुरू भी हो चुकी हैं। इसके अलावा 704 फास्ट ट्रैक कोर्ट पहले से ही काम कर रही हैं।
करोड़ों लोग वर्षों से न्याय के इंतजार में अदालत के चक्कर काट रहे हैं। मगर उन्हें सिर्फ तारीख ही मिल रही है। तेलंगाना पुलिस ने जो एनकाउंटर किया, उसके बाद पुलिसवालों पर जो फूल बरसाए गए, वह शायद इसी लंबे इंतजार की हताशा थी। इसी वजह से शायद लोग कह रहे हैं, 'ठीक किया जो ठोक दिया।'
तीन दशक से इंसाफ का इंतजार
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक लाखों लोग बरसों से इंसाफ के इंतजार में हैं। हजारों केस तो 30 साल से भी ज्यादा पुराने हैं, जिनमें अब तक न्याय नहीं मिला है। 41,682 आपराधिक मामले तीन दशक से लंबित हैं।
महाराष्ट्र में 66 साल से लंबित है मामला निचली अदालत में सबसे पुराना लंबित मामला महाराष्ट्र के सतारा का है, जो करीब 66 साल से लंबित है। 31 मार्च, 1953 को सतारा की निचली अदालत में यह आपराधिक मामला दर्ज किया गया यह मामला आईपीसी की धारा 406 के तहत दर्ज किया गया है विश्वासघात में इस धारा में मामला दर्ज किया जाता है इस मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर, 2019 को होगी, फास्ट ट्रैक कोर्ट के बावजूद लंबित मामले दुष्कर्म व पॉस्को एक्ट (12 साल से कम उम्र की बच्ची से दुष्कर्म) जैसे गंभीर मामलों से निपटने के लिए देश में 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने का प्रस्ताव है। इसके बावजूद 1,66,882 दुष्कर्म व पॉस्को एक्ट के मामले इन अदालतों में लंबित हैं।
यूपी की फास्ट ट्रैक अदालतों में सबसे ज्यादा 36,008 दुष्कर्म व पॉस्को के मामले लंबित, 22,775 लंबित मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर और महाराष्ट्र 20221 तीसरे नंबर पर, 218 फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की गई हैं उत्तर प्रदेश में निचली अदालत में सबसे पुराना सिविल मुकदमा 1951 का है, जो पश्चिम बंगाल की हुगली में शुरू हुआ था
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