दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे परियोजना हेतु, भूमि अधिग्रहण में की गयी अनियमितताओं के बारे में
लखनऊ , भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण की दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे परियोजना हेतु, भूमि अधिग्रहण में की गयी अनियमितताओं की शिकायतों के सम्बन्ध में, मण्डलायुक्त, मेरठ की 29 सितम्बर, 2017 की जांच आख्या में की गयी संस्तुतियों पर कार्यवाही के सम्बन्ध में
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे परियोजना हेतु जनपद गाजियाबाद के ग्राम डासना, रसूलपुर सिकरोड, कुशलिया तथा नाहल में अधिग्रहीत भूमि के सम्बन्ध में शिकायतें प्राप्त हुई थी जिसकी तत्कालीन मण्डलायुक्त मेरठ श्री प्रभात कुमार द्वारा जांच की गयी थी।
एन0एच0एक्ट-1956 की धारा 3ए का दिनांक 08 अगस्त, 2011 एवं 3डी का वर्ष 2012 में नोटिफिकेशन तथा अवार्ड वर्ष 2013 में हुआ। अवार्ड के विरुद्ध भूस्वामियों के द्वारा आर्बीट्रेशन वाद दाखिल किये गये। आर्बीट्रेटर द्वारा वर्ष 2016 एवं 2017 में आर्बीट्रेशन में आदेश पारित किये गये तथा नये भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार प्रतिकर निर्धारित किया गया।
मण्डलायुक्त मेरठ द्वारा जांच में संस्तुति की गयी कि एन0एच0एक्ट-1956 की धारा 3डी के पश्चात भूमि क्रय की गयी। तत्कालीन जिलाधिकारी/आर्बीट्रेटर, गाजियाबाद द्वारा आर्बीट्रेशन वादों में नये भूमि अर्जन अधिनियम 2013 के अन्तर्गत प्रतिकर की दर को बढ़ा दिया गया। जिसके कारण प्रतिकर का वितरण नहीं हो पाया और वास्तविक कब्जा नहीं मिल पाया। कब्जा न मिल पाने के कारण परियोजना का कार्य अवरूद्ध है।
मण्डलायुक्त मेरठ की जांच में आच्छादित 4 ग्रामों की अर्जित भूमि क्षेत्रफल 71.1495 हेक्टेयर का सक्षम प्राधिकारी द्वारा धनराशि 1,11,94,26,638 रुपये का अभिनिर्णय घोषित किया गया। निर्णीत आर्बीट्रेशन वादों में निहित धनराशि 3,19,16,53,331 रुपये एवं लम्बित आर्बीट्रेशन वादों में, पूर्व में निर्णीत आर्बीट्रल दरों के अनुसार 1,67,81,81,592 रुपये की धनराशि आंकलित होती है, जिसका कुल योग 4,86,98,34,923 रुपये आंकलित होता है।
इस सम्बन्ध में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र दिनांक 06.11.2019 से प्राप्त आख्या एवं मा0 महाधिवक्ता उ0प्र0 के विधिक परामर्श के दृष्टिगत दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे परियोजना के अन्तर्गत 04 ग्रामों (डासना, रसूलपुर सिकरोड, कुशलिया तथा नाहल) के आर्बीट्रेशन अवार्ड के सापेक्ष प्रतिकर का वितरण किया जाना है।
एन0एच0एक्ट 1956 की धारा-3डी के अन्तर्गत अधिसूचना निर्गत होने के उपरान्त किये गये बैनामों को निरस्त किये जाने की विधिक कार्यवाही की जायेगी। इसमें संलिप्त अधिकारियों के विरुद्ध प्रचलित कार्यवाही यथावत जारी रहेगी और विधि विरुद्ध प्रक्रिया में सम्मिलित/जांच में दोषी पाये गये किसी अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध यदि कार्यवाही नहीं की गयी है, तो अब अनुशासनिक कार्यवाही संस्थित कर दी जायेगी।
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