शराब मुक्त भारत के लिए चलाया जाएगा जन जागरण अभियान- मुर्तजा अली . लखनऊ, शराबबंदी संघर्ष समिति के अध्यक्ष मुर्तजा अली नें सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ आज जीपीओ गांधी प्रतिमा लखनऊ हजरतगंज में शराबबंदी सत्याग्रह किया जिसकी अध्यक्षता दिल्ली से आए राष्ट्रीय शराबबंदी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक स्वामी संतोष आनंद जी ने की, राष्ट्रीय शराबबंदी संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निहाल सिंह ने प्रदेश भर में शराबबंदी अभियान की शुरुआत की घोषणा की वरिष्ठ उपाध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने बताया कि शराबबंदी का मुद्दा बहुत अहम है अगर योगी जी इसको नहीं करेंगे तो और किसी मुख्यमंत्री से आप उम्मीद नहीं कर सकते हैं ! शराबबंदी संघर्ष समिति के जनरल सेक्रेटरी मिर्जा इशरत बेग जी ने कहां की पूरे प्रदेश में शराबबंदी का अभियान चलाया जाएगा और नियमविरुद्ध चल रहे शराब के ठेको और खुले में सार्वजनिक स्थानों पर शराब परोसने वाले शराब के व्यापारियों पर नियमानुसार कार्यवाही करवाई जाएगी! नेशनल यूथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्होंने घोषणा की उनकी मुख्य एजेंडा शराबबंदी होगा ! शराबबंदी संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष फैजुद्दीन सिद्दीकी महिला विंग की अध्यक्ष हलीमा अजीज और मोहम्मद आफाक ने आए हुए सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया ! इस मौके राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा के संयोजक सुल्तान सिंह ,मोहम्मद आफाक, संरक्षक आरबी लाल जी, मोहम्मद कैफ, फहद, मोहम्मद फहीम सिद्दीकी खुर्शीद सिद्दीकी परवेज आलम उत्पत्ति जी सुरेश रावत आदि पदाधिकारी उपस्थित रहें और अंत में माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को ज्ञापन के माध्यम से संपूर्ण भारत और उत्तर प्रदेश में शराब बंदी कानून लागू करने हेतु निवेदन किया गया
-आध्यात्मिक लेख आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते हुए
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