कोविड-19 मरीजों में किडनी की बीमारी हो रही है लेकिन ज्यादातरलोग इस बात से अंजान है
- हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार हॉस्पिटल के सभी कोरोनोवायरस मरीजों में से 15% को अब डायलिसिस की जरुरत है
- इसे बहुत जल्द मैनेज करने की जरुरत है, नहीं तो यह एक उभरता हुआ हेल्थ क्राइसिस हो सकता है
18 अक्टूबर 2020,
लखनऊ: जैसे जैसे समय बदल रहाहै कोविड-19इंफेक्शनभीहमेंआश्चर्यचकितकररहा है।रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ में डॉक्टरों को पता चला कि कोरोना वायरसन केवल फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि किडनी को भी ख़राब करर हाहै।सबसे बुरी बात यह है कि इस बारे लोग अभी भीनहींजानतेहै।कोविड-19 की वजह से मरीजों में एक्यूट किडनी इंजरी का खतरा भी बढ़ रहाहैं। इसके साथ ही किडनी ख़राब होने पर होलॉन्गटर्मइफेक्ट सभी हो रहे है।
नेशनल किडनी फाउंडेशन (एनकेएफ) के एक सर्वे के अनुसार एक्यूट किडनी इंजरी की वजह से कोरोनोवायरस मरीजों में से 15% को अब डायलिसिस की जरुरतपड़ सकती है।अगर कोई मरीज इंसेंटिव केयर यूनिट (आईसीयू) में जाता है, तो किडनी फेल होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। रिपोर्ट के अनुसार आईसीयू में भर्ती20% या उससे ज्यादा मरीजों में किडनी काम करना बंद कर सकतीहै। हॉस्पिटल इस समस्या के लिए तैयार नहीं थे,साथ ही डायलिसिस इक्विपमेंट्स और इनकी सप्लाई पर्याप्त नहीं हैऔर आईसीयू में ऐसे मरीजों का डायलिसिस करने के लिए नर्सों को ठीक से ट्रेन भी नहीं किया गया था।
डॉ दीपक दीवान, एमडी, डीएम-नेफ्रोलॉजी, रीनल साइंस डायरेक्टर, रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊने कहा, “बड़ी संख्या में मरीज़ हॉस्पिटल में कोविड-19 का इलाज कराने के लिए जा रहे हैं लेकिन कई मरीजों कोकिडनी की बीमारी भीहो रही है। अगर इसे सही समय पर मैनेज नहीं किया गया, तो हमारा मानना है कि एक नया हेल्थ क्राइसिस हमारे सामनेउभर सकता है, जो हॉस्पिटल, डायलिसिस क्लीनिकों और मरीजों पर ज्यादा दबाव डालेगाऔरकोरोनावायरस का सफलतापूर्वक वैक्सीन बनने के बाद भी रहेगा।दुर्भाग्य से 1.34 अरब की आबादी वाले भारत में हाई मोर्टेलिटी रेट और मोर्बिडिटी के बावजूद भी लोगों को किडनी बीमारी के बारें में ज्यादा जानकारी नहीं है।"
वायरस किडनी को कैसे नुकसान पहुंचाता है इसका अभी भी पता नहीं लग पाया है। किडनी शरीर के खून को साफ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स के पास केवल थ्योरी है। एक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित स्टडी से पता चला है कि कोरोनोवायरस ACE2नामक कोशिकाओं पर एक प्रकार के रिसेप्टर से बंध कर शरीर में प्रवेश करता है। इन विशेष रिसेप्टर्स न केवल हार्ट और फेफड़ोंबल्कि किडनी की कोशिकाओं में भी पाए जाते हैं।
डॉ दीपक दीवान, एमडी, डीएम-नेफ्रोलॉजी, रीनल साइंस डायरेक्टर,रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ ने आगे कहा, "ACE2रिसेप्टर वायरस के लिए अनिवार्य रूप से डॉकिंग साइट होते हैं। लेकिन यह भी संभव है कि किडनी डैमेज कोरोनोवायरस मरीजों में देखा गया है जो वायरल इंफेक्शन के बाद होता है क्योंकि शरीर अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन देने में विफल हो जाती है, और इससे कोविड-19 फेफड़ों को हिट करता है, जिससे लोगों के शरीर को जितनी ऑक्सीजन मिलनी चाहिए उसे मिलने में मुश्किल आती है। इस वजह से वायरस ब्लड को नुकसान पहुंचाता है जिससे ब्लड क्लॉट होने लगता हैं। किडनी हजारों छोटी केशिकाओं के जरिये ब्लड को फ़िल्टर करता है, इससे सामान्यब्लड क्लॉट नहीं होता है।"
अक्सरडॉक्टरों ने देखा है कि कोविड-19 मरीजों के खून में इतना इतनी क्लॉटिंग हो रही है कि खून डायलिसिस मशीनों में फिल्टर नहीं हो पा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि इस वजह से उन्हें मरीजों के ट्रीटमेंट में खून को पतला करना पड़ रहा है ताकि डायलिसिस मशीनें ठीक से काम कर सकें
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