किसान खेतों में फसल अवशेष कतई न जलाएं, बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र से मृदा स्वास्थ्य संरक्षित करें
किसान खेतों में फसल अवशेष कतई न जलाएं, बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र से मृदा स्वास्थ्य संरक्षित करें
- कृषि विभाग द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से पराली जलाए जाने की घटनाओं पर लगातार निगरानी रखी जा रही
- इन सीटू योजना में अब तक कुल 8283 यंत्रों के सापेक्ष 15506 लाभार्थियों का टोकन व प्रीबुकिंग जारी
लखनऊ: 18 अक्टूबर, 2020
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि किसान खेतों में फसल अवशेष कतई न जलाएं, बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र से प्रबंधन कर मृदा स्वास्थ्य संरक्षित करें। किसान डिकम्पोजर का प्रयोग कर शीघ्रता के साथ फसल अवशेष सड़ा सकते हैंए जिससे मिट्टी के कार्बन अंश की वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी तक फसल अवशेष जलाने की 241 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन घटनाओं पर तत्काल रोक लगाई जानी आवश्यक है। श्री शाही ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से पराली जलाए जाने की घटनाओं पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। ऐसे में पराली जलाने पर सेटेलाइट द्वारा संबंधित खेत का विवरण रिकॉर्ड कर लिया जाएगा और किसानों को अनावश्यक कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।
श्री शाही ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा फसल अवशेषों का जलाया जाना अपराध माना गया है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को जलाने से उनके जड़, तना, पत्ती में संचित लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेषों को जलाने से मृदा ताप में बढ़ोतरी होती है, जिसके कारण मृदा के भौतिकए रासायनिक एवं जैविक तत्व पर विपरीत प्रभाव आता है। पादप अवशेेेष एवं मृदा में उपलब्ध लाभदायक मित्र कीट भी जलकर मर जाते हैं और पशुओं का चारा भी खत्म हो जाता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के अंतर्गत इन सीटू योजना में अब तक कुल 8283 यंत्रों के सापेक्ष 15506 लाभार्थियों का टोकन व प्री-बुकिंग जारी हो गई है। साथ ही 3373 लाभार्थियों के बिल पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं। फॉर्म मशीनरी बैंक के अंतर्गत एफपीओ एवं अन्य समितियों के लिए निर्धारित लक्ष्य 610 के सापेक्ष 921 लाभार्थियों के टोकन व प्री-बुकिंग जारी हो चुकी है तथा 383 लाभार्थियों के बिल पोर्टल पर अपलोड हो चुके हैं। कृषि यंत्रीकरण के अंतर्गत चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ लेकर किसान कृषि अवशेष प्रबंधन कर खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हुये पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं।
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