आर.डी.एस.ओ. द्वारा वर्चुअल वैंडर मीट-2020 का आयोजन
- रेल सेक्टर में उच्चतर व्यापार अवसरों और वैंडर बेस का विस्तार करने के लिए
- भारतीय रेलवे सप्लाई चेन में उद्योगों की भागीदारी को प्रोत्साहन
- भारत के आत्मनिर्भरता और मेक-इन-इंडिया प्रयासों के अंतर्गत घरेलू विनिर्माताओं को प्राथमिकता
- इस मीट में 150 से अधिक औद्योगिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया
भारतीय रेलवे के रिसर्च विंग आर.डी.एस.ओ. ने देश के उत्तरी भागों में स्थित उद्योगों के हितार्थ 11 अगस्त, 2020 को एक वर्चुअल वैंडर मीट का आयोजन किया । इस मीट को उद्योग जगत और इसमें शामिल हुए 150 से अधिक प्रतिनिधियों की ओर से शानदार प्रतिक्रिया मिली । वैब प्लेटफॉर्म की बाध्यता के चलते अनेक अन्य लोगों को भी ऐसी ही आगामी बैठकों में भाग लेने का सुझाव दिया गया । आर.डी.एस.ओ. के महानिदेशक, श्री वीरेन्द्र कुमार और विशेष महानिदेशक (वैंडर डेवलैपमेंट) श्री ए.के. पांडे की ओर से किए गए प्रयासों के अंतर्गत, देश के सभी उद्योगों को क्षेत्रवार शामिल करने के लिए वैंडर मीट का कार्यक्रम बनाया गया है । अखिल भारतीय स्तर पर इन बैठकों का समन्वय श्री गोपाल कुमार, पीईडी, क्वालिटी एशोरेंस (मैकेनिकल) और श्री शमिन्दर सिंह पीईडी, क्वालिटी एशोरेंस (सिगनल एवं दूर-संचार) द्वारा किया जा रहा है ।
अपनी तरह की इस पहली वर्चुअल वैंडर मीट को सम्बोधित करते हुए आरडीएसओ के विशेष महानिदेशक (वैंडर डेवलैपमेंट) श्री ए.के. पांडे ने अपने उदधाटन भाषण में कहा कि अनुमोदन प्रक्रिया को सरल करने और अनुसंधान को बेहतर बनाने के लिए आर.डी.एस.ओ. ने अनेक महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं । श्री लोकेश सिंह, कार्यकारी निदेशक, क्वालिटी एशोरेंस (मैकेनिकल) और श्री पराग कुमार गोयल, कार्यकारी निदेशक, क्वालिटी एशोरेंस (संकेत एवं दूरसंचार), नई दिल्ली ने आरडीएसओ की ऑनलाइन वैंडर अनुमोदन प्रक्रिया और व्यापर करने में सुगमता बढ़ाने के लिए किए गए उपायों तथा 5 से कम स्रोतों वाली मदों के विवरण का विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया । प्रतिनिधियों को यह भी बताया गया कि 5 स्रोतों से कम वाली आरडीएसओ नियंत्रित मदों के लिए वैंडरों को स्वयं ही पंजीकृत करने में प्रोत्साहन देने के लिए पहले ही अनेक उपाय किए गए हैं । 5 स्रोतों से कम वाली मदों के लिए पंजीकरण प्रभार मध्यम/लघु उद्योगों के लिए 1,50,000/-रूपये लाख से घटाकर 10,000/- रूपये और अन्यों के लिए 2,50000/- रूपये से घटाकर 50,000/- रूपये कर दिया है । पंजीकरण प्रक्रिया से लेकर आवेदन को मंजूरी प्रदान करने की सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन हैं ।
भारत के आत्मनिर्भरता और मेक-इन-इंडिया प्रयासों के अंतर्गत घरेलू विनिर्माताओं को प्राथमिकता दी जायेगी । सामग्री पूरी खरीद डिजीटल प्लेटफॉर्म से की जाती है । विवरणों,ड्राइंग, तकनीकी दस्तावेजों की सूची इत्यादि सभी दस्तावेज आर.डी.एस.ओ. की वैबसाइट पर उपलब्ध हैं और नि:शुल्क डाउनलोड किए जा सकते हैं । पंजीकरण, परीक्षण, परामर्श प्रभार इत्यादि के लिए भुगतान केवल ऑनलाइन है । इसके अलावा प्रोटो टाइप परीक्षण प्रभारों को सभी वैंडरों के लिए 50% अथवा अधिक तक कम किया गया ।
प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों ने इस बैठक में भाग लिया और आर.डी.एस.ओं. के इस प्रयास की सराहना की ।
आर.डी.एस.ओ. अधिकारियों ने उद्योगों के प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए प्रश्नों को जबाब दिए । कुल मिलाकर बैठक बहुत सफल रही । बैठक में लुधियाना के उद्योगपतियों ने बडे उत्साह के साथ भाग लिया । उद्योग जगत की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही ।
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