सिर पर सिस्टिक सूजन व स्पाइना बिफिडा से ग्रसित तीन दिन के नवजात की हुई सफल सर्जरी
· अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में हुई सफल सर्जरी
· सिस्टिक सूजन के साथ स्पाइना बिफिडा की स्थिति 1000 में 61 केस में पायी जाती है।
· न्यूरल ट्यूब पूरी तरह से बंद नहीं होने से बनता है सिस्टिक सूजन
· 5000 में से 1 केस में बंद होती है न्यूरल ट्यूब
· फोलिक एसिड की कमी से होता है स्पाइना बिफिडा
लखनऊ, 9 जनवरी 2019: अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने चुनौतीपूर्ण स्थिति ’ऑक्सिपिटल एन्सेफलोसले के साथ ही स्पाइना बिफिडा’ से ग्रसित 3 दिन के नवजात की सफलतापूर्वक सर्जरी की। स्पाइना बिफिडा जिसको स्प्लिट कॉर्ड मॉलफॉर्मेशन भी कहा जाता है, एक दुर्लभ जन्मजात रीढ़ की हड्डी में असामान्यता है। इस तरह की स्थिति एक ऐसी समस्या है, जो देखी तो बच्चे के जन्म के समय में जाती है, लेकिन यह उत्पन्न तभी हो जाती है, जब शिशु मां के पेट में रहता है। जन्म से पहले मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के रूप में कुछ त्वचा कोशिकाएं फंस जाने पर ऑक्सिपिटल सिस्ट बन जाते हैं। जब बच्चा अपनी मां के गर्भ में आकार ले रहा होता है, तो तीसरे से चौथे हफ्ते के बीच कुछ न्यूरल ट्यूब मिलकर दिमाग और रीढ़ की हड्डी बनाते हैं लेकिन 5000 में से एक मामले में न्यूरल ट्यूब पूरी तरह से बंद नहीं हो पाती जिससे नाक, आंख के पास या फिर सिर के पीछे की हड्डियां पूरी तरह से जुड़ नहीं पाती तब दिमाग का कुछ हिस्सा उस जगह में से बाहर आने लगता है।
ऐसा ही एक मामला अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में देखने को मिला जहां संतोषी देवी का सामान्य प्रसव द्वारा जन्मा 3 दिन का बच्चा जो कि जन्म के बाद से ही सिर के पिछले हिस्से पर एक सिस्ट सूजन के साथ स्पाइना बिफिडा की समस्या से पीड़ित था। एमआरआई किये जाने पर पता चला कि रीढ़ की हड्डी दो खंडों में विभाजित है जिसे हेमिकॉर्ड्स (स्प्लिट कॉर्ड मालफॉर्मेशन टाइप 1 कहा जाता है तथा क्रेनियल एमआरआई में ब्रेन कवरिंग में दो बड़ी थैली दिखायी दी जिन्हें ड्यूरमैटर कहा जाता है, यह सिर के पिछले हिस्से पर निकला उभार था जिसे ऑक्सिपिटल एन्सेफलोसले कहा जाता है।
अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि, ’’प्रारंभिक सर्जरी के लिए बच्चे की एक ही सेटिंग में दो सर्जरी की गई पहले ऑक्सिपिटल एन्सेफलोसले (सिर के पिछले हिस्से पर निकला उभार) को हटाया गया, थैलियों को आस-पास के ऊतकों से अलग किया गया उसके बाद रीढ़ की हड्डी की सर्जरी की गयी। स्पाइना बिफिडा जन्मजात विकृति है जिसमें बच्चों को जीवनभर कष्ट झेलना पड़ सकता है। आमतौर पर ऐसे दोष किसी भी उम्र में एक चुनौती की तरह हैं। हमारे लिए 3 दिन के नवजात की इस स्थिति को स्थिर करना एक बड़ी चुनौती थी। हमारी इस सफल सर्जरी द्वारा बच्चे के माता-पिता व बच्चे को भविष्य में होने वाले मानसिक और शारीरिक तनाव को कम किया गया है।
अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स की एसोसिएट कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ. प्रार्थना सक्सेना ने बताया कि, “एससीएम से पीड़ित मरीज जब बड़े होते हैं तो रोगग्रस्त होते हैं, उन्हें हड्डी के टेढ़े-मेढ़े होने के लक्षण, विकृत पैर, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, रीढ़ का एक ओर का टेढ़ापन, बार-बार मूत्र का निकलना व लार टपकना, पैरों का या आधे धड़ का लकवा हो जाने से जीवन भर के लिए एक व्यक्ति पर निर्भर होकर रहने वाली स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
हमारे लिए, सर्जरी ही एकमात्र विकल्प था। रीढ़ की विकृति की सर्जरी की आवश्यकता को देखते हुए उसे दो चरणों में किया गया। इस तरह के विकारों से बचने के लिए फोलिक एसिड की एक गोली महिलाओं के लिए काफी मायने रखती है। खासतौर से बच्चों में स्पाइना बिफिडा जैसी जन्मजात विकृति दूर करने के लिए फोलिक एसिड का सेवन ही एकमात्र उपाय है। उन्होंने कहा कि बच्चे को मुँह से फीड लेने में कोई न्यूरोलॉजिकल दिक्कत नहीं हो रही है।
अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर व सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने कहा कि “मैं अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉक्टर सुनील कुमार सिंह व एसोसिएट कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ. प्रार्थना सक्सेना को इस सफल सर्जरी के लिए बधाई देता हूँ। हमारे हॉस्पिटल में हर प्रकार के उन्नत जीवन रक्षा चिकित्सा उपकरणों के साथ साथ काबिल डॉक्टरों की भी टीम है जो दुर्लभ जन्मजात दोषों के इलाज को भी सक्षम बनाने में अग्रसर हैं।”
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