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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की। इसके पूर्व, कानपुर आगमन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रधानमंत्री जी का स्वागत किया।


राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री जी ने 'स्वच्छता', 'अविरलता' तथा 'निर्मलता' पर ध्यान केन्द्रित करते हुए गंगा नदी की स्वच्छता सम्बन्धी विभिन्न कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि माँ गंगा उप-महाद्वीप की सबसे पवित्र नदी है। इसके कायाकल्प को सहयोगात्मक संघवाद के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जाना चाहिए। गंगा का कायाकल्प दीर्घ काल से देश के लिए लम्बित चुनौती रहा है। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2014 में 'नमामि गंगे' का शुभारम्भ करने के पश्चात इस दिशा में बहुत कुछ किया है। विभिन्न सरकारी प्रयासों एवं गतिविधियों को एकीकृत करते हुए यह कार्यक्रम प्रदूषण उन्मूलन, गंगा का संरक्षण एवं कायाकल्प, पेपर मिलों के उत्प्रवाह को शून्य करने, टेनरियों से होने वाले प्रदूषण में कमी लाने जैसी उपलब्धियों के रूप में परिलक्षित हो रहा है। लेकिन अभी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना शेष है।


प्रधानमंत्री जी ने कहा कि निर्मल गंगा के स्वरूप के लिए व्यापक जन सहयोग के साथ देश की प्रमुख नदियों के किनारे बसे शहरों की बेस्ट प्रैक्टिसेज को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने योजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक प्रभावी ढांचा प्रदान करने के लिए जिला गंगा समितियों की दक्षता में सुधार पर बल दिया।


प्रधानमंत्री जी ने 'नमामि गंगे' को 'अर्थ गंगा' में परिवर्तित करने के लिए एक समग्र सोच विकसित किए जाने का आह्वान किया। यह गंगा से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों पर केन्द्रित एक सतत विकास माॅडल होगा। इसके अन्तर्गत किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन, शून्य बजट खेती, फलदार वृक्षों का रोपण तथा गंगा के तटों पर पौध नर्सरी की स्थापना के कार्य शामिल किए जा सकते हैं। इन कार्यक्रमों में महिला स्वयं सहायता समूहों तथा पूर्व सैनिकों के संगठनों को प्राथमिकता दी जाए। ऐसी गतिविधियों के साथ-साथ वाॅटर स्पोट्र्स के लिए अवस्थापना सृजन, कैम्प साइट्स के विकास, तथा साइकिलिंग एवं पैदल पथ के निर्माण से पर्यटन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। ईको टूरिज़्म, क्रूज़ टूरिज़्म तथा गंगा वन्यजीव संरक्षण के प्रोत्साहन से होने वाली आय के द्वारा गंगा स्वच्छता के लिए आय का स्थायी स्रोत बनाने में मदद मिलेगी।


प्रधानमंत्री जी ने 'नमामि गंगे' तथा 'अर्थ गंगा' के अन्तर्गत विभिन्न योजनाओं और पहल की कार्य प्रगति एवं गतिविधियों की निगरानी के लिए एक डिजिटल डैशबोर्ड की स्थापना के भी निर्देश दिए। इसके माध्यम से नीति आयोग तथा जल शक्ति मंत्रालय द्वारा ग्रामों एवं शहरी निकायों के आंकड़ों का दैनिक अनुश्रवण किया जाए। उन्होंने कहा कि आकांक्षात्मक जनपदांे की तर्ज पर 'नमामि गंगे' के बेहतर अनुश्रवण के लिए गंगा के किनारे स्थित समस्त जनपदों को फोकस एरिया बनाया जाए।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रधानमंत्री जी का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश का यह सौभाग्य है कि राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक कानपुर में सम्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि धरती पर गंगा जी का अवतरण मानव कल्याण के लिए हुआ है। गंगा जी जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी हैं। पृृथ्वी पर आकर उसे स्वर्ग बनाने वाली गंगा जी को भारतवासी अपनी माँ की तरह पूजते हैं।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गंगा जी हजारों वर्षों से अनवरत रूप से गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक 2523 कि0मी0 की अपनी लम्बी यात्रा कर रही हैं। इस दौरान वे ऐसे अनेक बड़े शहरों से होकर गुजरती हैं, जहां कारखानों, फैक्ट्रियों व अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों के परिणामस्वरूप गंगा जी में प्रदूषण बढ़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री जी ने जून, 2014 में 'नमामि गंगे' कार्यक्रम के माध्यम से गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा जी को निर्मल बनाने की प्रभावी पहल की है।


गंगा जी का सर्वाधिक प्रवाह क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है। इसलिए 'नमामि गंगे' कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन में प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी भी सर्वाधिक है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा परियोजना के कार्यों को पूरी निष्ठा एवं प्रतिबद्धता के साथ क्रियान्वित कराया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश में 10 हजार 341 करोड़ 82 लाख रुपए की 45 सीवरेज परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं। इनमें से 1,292 करोड़ 52 लाख रुपए की 12 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। 07 परियोजनाओं को मार्च, 2020 तक पूरा किये जाने का लक्ष्य है। 5,727 करोड़ 90 लाख रुपए की 21 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। 3,321 करोड़ 71 लाख रुपए की 12 परियोजनाएं निविदा प्रक्रिया में चल रही हैं।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के 32 शहरों में विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत कुल 104 एस0टी0पी0 का निर्माण किया गया है, जिनकी कुल शोधन क्षमता 3,298 एम0एल0डी0 है। कुल एस0टी0पी0 के अन्तर्गत पहुंचने वाले सीवरेज की मात्रा 2,248 एम0एल0डी0 है, जो सीवरेज की कुल क्षमता का 69 प्रतिशत है।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रयागराज कुम्भ-2019 का भव्य और दिव्य आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। राज्य सरकार के प्रयास तथा केन्द्र सरकार के सहयोग से काफी वर्षाें बाद इस कुम्भ में श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों को गंगा जी की अत्यन्त निर्मल और अविरल जलधारा मिली। प्रयागराज कुम्भ-2019 में 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी के पावन संगम पर स्नान किया। प्रयागराज कुम्भ के दौरान दिसम्बर, 2018 से 155 नालों के शोधन का कार्य किया गया। नमामि गंगे कार्यक्रम के सहयोग से कुम्भ मेले में 01 लाख 22 हजार से अधिक सामुदायिक शौचालय स्थापित किए गए। कुम्भ मेला क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त रहा तथा प्रयागराज कुम्भ ने स्वच्छ कुम्भ के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी।


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