महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना, उ0प्र0 में विलम्ब से मजदूरी भुगतान हेतु क्षतिपूर्ति भुगतान की व्यवस्था सम्बन्धी प्रस्ताव मंजूर
मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना, उ0प्र0 में विलम्ब से मजदूरी भुगतान हेतु क्षतिपूर्ति भुगतान की व्यवस्था सम्बन्धी प्रस्ताव मंजूर
मंत्रिपरिषद ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम-2005 की धारा-32 की उप धारा (01) के अन्तर्गत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना, उत्तर प्रदेश में विलम्ब से मजदूरी भुगतान हेतु क्षतिपूर्ति भुगतान की व्यवस्था किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
इसके लिए 'उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी (विलम्बित मजदूरी संदाय हेतु प्रतिकर) नियमावली, 2019' प्रख्यापित की जाएगी। इस नियमावली के अनुसार श्रमिकों को उनके द्वारा किए गए कार्यों के सापेक्ष 15 दिवस के अन्दर मजदूरी का भुगतान किया जाना अनिवार्य है। निर्धारित अवधि में मजदूरी का भुगतान न होने की दशा में जिस स्तर पर विलम्ब हुआ है, उस स्तर पर राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार के उत्तरदायी अधिकारियों के वेतन से प्रतिकर की वसूली की जाएगी।
विलम्बित संदाय के सापेक्ष प्रतिकर का संदाय राज्य रोजगार गारण्टी निधि के प्रतिकर सम्बन्धी बैंक खाते से किया जाएगा। इस खाते से होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति विलम्ब के लिए उत्तरदायी अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन/मानदेय से वसूल की गई धनराशि से की जाएगी। श्रमिकों को विलम्बित प्रतिकर के रूप में मजदूरी दर का 0.05 प्रतिशत प्रतिदिन के आधार पर भुगतान किया जाएगा।
विलम्बित प्रतिकर नियमावली निर्गत होने से योजना के क्रियान्वयन से जुड़ा तंत्र अधिक संवेदनशील एवं उत्तरदायी हो जाएगा, जिससे विलम्बित भुगतान में कमी आएगी और मनरेगा अधिनियम के अनुरूप मनरेगा योजना को प्रदेश में और अधिक सुचारु रूप से संचालित करने में सहायता मिलेगी। जिला कार्यक्रम समन्वयक/जिला मजिस्ट्रेट श्रमिकांे के लिए समय से मजदूरी संदाय किए जाने और विलम्ब की स्थिति में समय से प्रतिकर का संदाय किए जाने के सम्बन्ध में नियमित अनुश्रवण करेंगे।
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