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जैव विविधता संरक्षण

जैव विविधता संरक्षण


लखनऊ : जैव विविधता संरक्षण के माध्यम से पर्यावरण सुरक्षा हेतु प्रेरित कर पारिस्थितिकीय सेवाओं की निरन्तरता सुनिश्चित करने एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को न्यून करने, वृक्षावरण में वृद्धि एवं कृषि वानिकी को बढ़ावा देकर कृषकों की आय में वृद्धि हेतु व्यक्तिगत कृष्य या अकृष्य भूमि पर अवस्थित कतिपय वृक्ष प्रजातियों को उ0प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के उपबन्धों से छूट प्रदान किया जाना


मंत्रिपरिषद द्वारा जैव विविधता संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को न्यून करने, अनियंत्रित पातन पर नियंत्रण, वृक्षावरण में वृद्धि वानिकी को बढ़ावा दिये जाने तथा कृषकों की आय में वृद्धि हेतु उ0प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के उपबन्धों में छूट प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में कार्यवाही की जा रही है।


उ0प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के उपबन्धों में संशोधन करते हुए अधिसूचना संख्या-2270/14-5-2017-7/1993 दिनांक 31 अक्टूबर, 2017 को निरस्त करते हुए वर्णित प्रस्ताव के दृष्टिगत नवीन अधिसूचना निर्गत किये जाने की कार्यवाही की जा रही है।


प्रदेश के पर्यावरण, जैवविविधता तथा मृदा एवं जल संरक्षण के दृष्टिगत (1) आम (देशी/तुकमी/कलमी), (2) नीम, (3) साल, (4) महुआ, (5) बीजा साल, (6) पीपल, (7) बरगद, (8) गूलर, (9) पाकड़, (10) अर्जुन, (11) पलाश, (12) बेल, (13) चिरौंजी, (14) खिरनी, (15) कैथा, (16) इमली, (17) जामुन, (18) असना, (19) कुसुम, (20) रीठा, (21) भिलावा, (22) तून, (23) सलई, (24) हल्दू, (25) बाकली/करधई, (26) धौ, (27) खैर, (28) शीशम एवं (29) सागौन के वृक्षों को छूट प्रजाति की श्रेणी में न रखा जाए। इन वृक्षों के पातन हेतु उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्राविधानों के अन्तर्गत आॅनलाइन सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त कर काटे जा सकेंगे।


पातन अनुज्ञा प्राप्त करने वाले वृक्ष स्वामी द्वारा काटे गये प्रत्येक वृक्ष के स्थान पर कम से कम 10 वृक्षों का आरोपण एवं परिपोषण किया जाये तथा ऐसा करने का स्थान उपलब्ध न होने की स्थिति में वृक्ष स्वामी द्वारा वन विभाग में निर्धारित प्रतिपूर्ति रोपण धनराशि जमा की जानी होगी। इस धनराशि से वन विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति पौध रोपण करवाया जाएगा। इससे वृक्षावरण बढ़ाने एवं सम्बन्धित प्रजाति के संरक्षण में मदद मिलेगी। उत्तर प्रदेश वन निगम वृक्ष स्वामी को अपनी भूमि पर अवस्थित वृक्षों के प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान करेगा।


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