बीएसए के खिलाफ शिक्षकों ने खोला मोर्चा
मऊ : पहले प्राशिसं अध्यक्ष कृष्णानंद राय पर रिवाल्वर तानने, बाद में उस मामले में गवाह रहे विशिष्ट बीटीसी टीर्चर्स वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष राज्य सरकार से पुरस्कृत शिक्षक अंजनी कुमार सिंह को निलंबित करने आदि कई घटनाओं से क्षुब्ध शिक्षकों ने सोमवार को बीएसए के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बीएसए कार्यालय से लगायत कलेक्ट्रेट तक मार्च निकाला तो बीएसए के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए कार्रवाई की मांग की। कलेक्ट्रेट परिसर में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष कृष्णानंद राय, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष राज्य सरकार से पुरस्कृत अंजनी कुमार सिंह एवं शिक्षक नेता सतीश कुमार सिंह ने शिक्षक नेताओं पर रिवाल्वर तानने एवं नियम विरुद्ध अनर्गल आरोप लगा कर निलंबित किए जाने का आरोप लगाया। शिक्षक मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश को संबोधित ज्ञापन का एसडीएम विजय मिश्र के समक्ष वाचन किया गया। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई कि रिवाल्वर तानने के आरोप में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करते हुए उनके द्वारा किए गए नियम विरुद्ध कार्यों व भ्रष्टाचार की जांच कराई जाय तथा उनके विरुद्ध यथोचित कार्रवाई की जाय। शिक्षक नेताओं ने कलेक्ट्रेट परिसर में ही यह घोषणा किया कि यदि शीघ्र ज्ञापन पर कार्यवाही नहीं होती है तो शिक्षक कलेक्ट्रेट परिसर में ही अनवरत धरना देने के लिए बाध्य होंगे। इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से राशिद जमाल, सतीश राय, सुजीत राय, धनंजय, ज्ञानचंद, राजेश राय, राणा बलवंत, संतोष, धर्मराज, सरिता, जहमोहन, भारत भूषण, प्रमोद मिश्र, अनिल, मनमोहन, राधेश्याम, दिनेश कुमार, सुरेंद्र यादव, अवधेश, कमलेश बहादुर सिंह, रामाश्रय यादव, ब्रह्मस्वरूप मिश्रा, ममता, नरगिस, स्नेहलता राय, शबनम आदि शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद थे।
-आध्यात्मिक लेख आत्मा अजर अमर है! मृत्यु के बाद का जीवन आनन्द एवं हर्षदायी होता है! (1) मृत्यु के बाद शरीर मिट्टी में तथा आत्मा ईश्वरीय लोक में चली जाती है :विश्व के सभी महान धर्म हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी, सिख, बहाई हमें बताते हैं कि आत्मा और शरीर में एक अत्यन्त विशेष सम्बन्ध होता है इन दोनों के मिलने से ही मानव की संरचना होती है। आत्मा और शरीर का यह सम्बन्ध केवल एक नाशवान जीवन की अवधि तक ही सीमित रहता है। जब यह समाप्त हो जाता है तो दोनों अपने-अपने उद्गम स्थान को वापस चले जाते हैं, शरीर मिट्टी में मिल जाता है और आत्मा ईश्वर के आध्यात्मिक लोक में। आत्मा आध्यात्मिक लोक से निकली हुई, ईश्वर की छवि से सृजित होकर दिव्य गुणों और स्वर्गिक विशेषताओं को धारण करने की क्षमता लिए हुए शरीर से अलग होने के बाद शाश्वत रूप से प्रगति की ओर बढ़ती रहती है। (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है : (2) सृजनहार से पुनर्मिलन दुःख या डर का नहीं वरन् आनन्द के क्षण है :हम आत्मा को एक पक्षी के रूप में तथा मानव शरीर को एक पिजड़े के समान मान सकते है। इस संसार में रहते हुए
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