फिल्म ‘सांड की आंख’ को दर्शकों द्वारा प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर की समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति करने का प्रस्ताव अनुमोदित
फिल्म 'सांड की आंख' को दर्शकों द्वारा प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर की समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति करने का प्रस्ताव अनुमोदित
कमिश्नर वाणिज्य कर की आख्या एवं पूर्व प्रदर्शन समिति की संस्तुति के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद ने फिल्म 'सांड की आंख' को दर्शकों द्वारा प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर की समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि फिल्म 'सांड की आंख' उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत के जोहर गांव की दो महिलाओं पर आधारित है, जो ग्रामीण परिवेश में उन पर थोपे गये पुरुषवादी सामाजिक बन्धनों को तोड़कर लगभग 60 वर्ष की आयु में शूटिंग सीखती हैं तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अनेक मेडल एवं पुरस्कार भी जीतती हैं। यह फिल्म समाज में महिलाओं के ऊपर लगायी गयी अतार्किक एवं अनावश्यक पाबन्दियों को तोड़कर उनके प्रदेश एवं देश में आगे बढ़ने की कहानी है। यह फिल्म बालिकाओं एवं महिलाओं को खेलों की तरफ आकर्षित करेगी एवं इसके माध्यम से लैंगिक समानता में भी वृद्धि होगी। यह एक जनोपयोगी एवं बहुमूल्य संदेश देने वाली फिल्म है। इसके दृष्टिगत मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया है।
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