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सुल्तानुल हिन्द ख़्वाजा ग़रीब नवाज़

 



सावी न्यूज लखनऊ। भारत प्रारम्भ से ही सन्तों का देश रहा है यहां की जनता ने हर समय में ख्वाजा मुईन उद्दीन चिश्ती को आदर और सम्मान की दृष्टि से देखा हैनये विचार और नई आस्थायें रखने वालों की बात सोच समझ कर सराहा और अगर दिल ने गवाही दी है तो उसे बगैर झिझक अपना लिया। ख्वाजा साहब मुईन उद्दीन हसन चिश्ती कहने को भारत में बाहर से आये लेकिन यहां के लोगों और संसकृति में रच बस गये और ख्वाजा अजमेरी सरकार कहलाये और पक्का भारतीय होने का गौरव प्राप्त किया।


सुल्तानुल हिन्द ख्वाजा मुईन उद्दीन चिश्ती हिन्द के वली हैं। आप भारत में अजमेर में प्रविष्ट हुए तो पहले अनासागर के तट पर एक पहाड़ी गुफा में निवास किया इसके बाद झालरें के तट पर एक हुजरे (मठ) में रहे। आप सच्चे इश्वर भक्त और दूसरों के दुखों को समझने वाले थे ख्वाजा साहब के जीवन काल में भी आपके पास से कोई खाली नही जाता था और आज भी कोई भी व्यक्ति आपके दरबार से खाली नही जाता आप सबकी फरियाद सुनते है और सभी को फायदा पहुचता है। भारत ही क्या दुनिया के कोने कोने से आपके चाहने वालो का तांता लगा रहता है। आपके दरवार से सभी तरह की मुश्किले आसन आसान हो जाती हैं। बेरोजगारों को रोजगर तथा गरीबों को खुशहाली प्रदान होती है यही कारण है कि आपकों ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से जाना जाता है मुईन शब्द का अर्थ है सहायक मददगार, हिमायती, पृष्ठ पोषक इस तरह ख्वाजा मुईन उद्दीन हसन चिश्ती में यह सारी खूबिया विद्यमान हैं। इसी कारण नये शहर, नये देश, नई संस्कृति नये विश्वास और आस्थाओं के लोगों में इस कदर लोकप्रिय हो गये कि भारत के लोगों ने कई उपाधिया दे डाली कोई गरीब नवाज़ तो कोई भारत के पैगम्बर, भारत के उपहार, महान ख्वाजा, गरीबों के संरक्षक, भारत के अध्यात्मिक शासक, नाइब ए रसूल आदि। भारत की जनता और सन्तों पर अपनी रूहानियत की ऐसी छाप लगाई कि हिन्दुस्तान के रूहानी बादशह कहलाए और जिस पर सभी ने गर्व महसूस किया


हिन्दुस्तान के अध्यात्मिक शासक हजरत ख्वाजा मुईन उद्दीन हसन चिश्ती पिता की ओर से हुसैनी हैं तथा माता की ओर से हसनी हैं आपके पिता हजरत सैय्यद ग्यासुद्दीन एक संयमी तथा सदाचारी थे तथा पारिवारिक शिष्टता के साथ धनवान तथा वैभवशाली भी थे, आपके गुरूजन, सन्तगण खुरासान के उच्च महान व्यक्तियों में से थे। आपका मजार बगदाद (इराक) में प्रजा का दर्शन स्थल है। आपकी मां का नाम बीबी उम्मुल वरा–बीबी माहेनूर है। आप ने अपनी समस्त आयु इबादत और मुजाहेदात में बिताई। 70 वर्ष तक आपने रात में आराम नहीं किया। इस काल में केवल खुदा के बाराबर बावुजु रहे। आप अक्सर कहा करते थे “मुईन उद्दीन उस समय तक स्वर्ग में कदम नहीं रखेगा जब तक अपने भक्तों एवं उनके चाहने वालों को जो कयामत तक सिलसिले में होंगे। आप सुन्नत ए नबवी के बहुत अधिक पाबन्द थे जान और दिल से इस का पालन करते थे। आपके अध्यात्मिक गुरू हजरत ख्वाजा उस्मान- ए-हारूनी अक्सर कहा करते थे हमारा मुईन उद्दीन खुदा का महबूब है। मुझे इसके शिष्य बनने पर गर्व है। आपके हृदय में गुरू का आदर करने की भावना बहुत अधिक थी। ईश्वर का डर उन पर बहुत था आप सदैव कांपते और रोते रहते थे और कहा करते थे “ऐ लोगों! अगर तुम को ईश्वर की नाराजगी का जरा सा भी हाल पता हो जाये तो तुम पिघल जाओ और नमक के समान पानी हो जाओ।” आपके साथ जो भी व्यक्ति तीन दिन रहता साहिबे करामात (चमत्कारयुक्त) हो जाता। इबादत और मुजाहेदे के वक्त में आप सात-सात दिन बाद एक छोटा सा रोटी का टुकड़ा पानी में भिगो कर खाया करते थे और भक्ति में लीन रहते थे। अता और बखशिश का यह आलम था कि कभी कोई मांगने वाला आपके द्वार से खाली नही जाता था आप बहुत उदार, सहनशील, विनयशील थे और पहले सलाम करते थे। आपके रसोई में प्रतिदिन इतना भोजन बनता था कि शहर के समस्त गरीब और मिस्कीन लोग पेट भर के भोजन करते थे। इस प्रकार यह लंगर आज भी निरन्तर चल रहा है प्रतिदिन अनगिनत लोग लंगर से भर पेट उच्च श्रेणी का भोजन करते हैं। आपका बचपन भी सेवाभाव एवं सहायता को तत्पर था। दूध पीने की उम्र में जब कोई स्त्री आपके यहा अपना बच्चा लेकर आती और बच्चा रोता तो आप तुरन्त अपनी मां की ओर इशारा करते कि मां इस बच्चे को आपका दूध पिलाया जाय, मां आपका इशारा समझ जाती और उस बच्चे को दूध पिला देती। आपको यह दृश्य देख कर बहुत प्रसन्नता होती और आप खुशी में झूम उठते थे। जब आपकी आयु 3-4 वर्ष की हुई तो आप अपने हम उम्र बच्चों को बुलाते और उन्हें खाना खिलाते। एक बार ईद के अवसर पर आप सुन्दर कपड़े पहन कर नमाज़ के लिए जा रहे थे तो रास्ते में एक अन्धे लड़के को फटे पुराने कपड़ों में देखा आप को उस पर दया आ गई आपने उसी समय अपने वस्त्र उतार कर बालक को दे दिया और अपने साथ ईदगाह ले गये। आप अपने हमउम्र वाले बच्चों के साथ कभी खेलकूद में शामिल नहीं हुए। पृथवीराज चौहान के शासन काल में भारत में आगमन के बाद अनेक इश्वरी चमत्कार आपके द्वारा किये गये आपकी लोकप्रियता देख लोगों को कदापि अच्छा नहीं लगा और आपको यहां से जाने के भरसक प्रयास किये गये किन्तु ख्वाजा अजमेरी की चमत्कारिक शक्तियों के आगे सभी को नतमस्तक होना पड़ा, आपके चमत्कारिक लाभों को देख जनता आपके दर्शन के लिए उमड़ पड़ी देखते ही देखते आप जनता में लोक प्रिय हो गये, जनता आपके पास आती अपनी परेशानिया बताती देखते ही देखते लोग खुशहाल हो जाते। आज तो यह आलम है जो व्यक्ति आपके दरबार से लाभान्वित हुआ वह जन सेवा करने आपके दरबार पहुचं गया और महीनों वहीं रह कर दर्शनार्थी व सभी भूखे जनों के लिए बेहतरीन भोजन की व्यवस्था करता। आज देश के नामी-गिरामी हस्तियां बड़ी सफलता के लिए आपके दरबार में मन्नत मानते है चाहे वह प्रधानमंत्री हो या चपरासी, फिल्म जगत के सुपरस्टार हो या राजनीति के सुपर खिलाड़ी या व्यापारी हो या देश के माने हुए खिलाड़ी हों सभी का मानना है ख्वाजा के दरबार में सुकून और सफलता प्राप्त होती है।


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