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मोटापा और आयुर्वेदिक उपचार


 


 


सारी दुनिया में पुरूषों के मुकाबले औरतें 90 प्रतिशत ज्यादा मोटापे का शिकार होती है। मोटापे का प्रकट चाहे शारीरिक रूप में होता है। पर मेरी समझ के अनुसार इसके पीछे मानसिक कारण ज्यादा क्रियाशील होते है। मिसाल के तौर पर ज्यादातर औरतें शादी के बाद ही मोटापे की लपेट में आती है।


सैक्स में शरीर के साथ-साथ मन भी बराबर का भागीदार होता है। सैक्स लाईफ शुरू होते ही हारमोनज स्रावों का असंतुलित होकर शरीर और मन एक नयी स्थिति में प्रवेश कर जाते है। इस कारण मैं मोटापे को चिकित्सा विज्ञान में प्रचलित सब धारणाओं के उलट मनोशारीरिक रोग मानना ज्यादा उचित समझता हूँ। अगर मानसिक समस्याओं का हल कर दिया जाये तो 90 प्रतिशत औरतें मोटापे से मुक्त हो जाती है। आधुनिक चिकित्सा वैज्ञानिकों द्वारा मोटापे सम्बन्धी लिंग, उम्र, धर्म, काम, विवाहित जीवन, आर्थिक स्थिति, खान-पान संभोग प्रति रवैया, शिक्षा, अशिक्षा आदि को आधार बनाकर जो अध्ययन किया गया है, उससे बहुत रौचिक तथ्य प्राप्त हुए है। शाकाहारी भोजन का सेवन करने वाली औरतों के मुकाबले मांसाहारी औरतें 83 प्रतिशत ज्यादा मोटापे की लपेट में आती है। घरेलू काम करने वाली औरतें नौकरीपेशा औरतों के मुकाबले 50 प्रतिशत ज्यादा मोटापे का शिकार होती है। शादी से पहले के मुकाबले बाद में 72 प्रतिशत औरतें मोटापे में फंस जाती है। इन सारे कारणों का सर्वपक्षों से अध्ययन करके कहा जा सकता हैं कि मोटापा शारीरिक तल की बजाए मानसिक तल पर जीने वाले लोगों में ज्यादा पाया जाता है। जब यह आता हैं तो अकेला नही आता। इसके मित्र हृदय रोग, मधुमेह, जोडो का दर्द, प्रजनन अंगों के रोग, दमा, खांसी भी इसके साथ ही आते है।


चिकित्सा विज्ञान के शारीरिक मेहनत न करना, दिन में सोना, मीठे और चिकनाई भरे भोजन का ज्यादा सेवन करना और हारमोनज स्रावों के असंतुलित के कारण मोटापे के कारणों में गिने जाते हैं। मैं इन कारणों में दो और कारण जोड़ता हैं। पहला कारण जीवन में प्रेम की कमी और दूसरा कारण है संभोग में असंतुलन। मिसाल के तौर पर औरतें खास करके प्रेम की कमी की हालत में ओवरईटिंग का शिकार हो जाती है। सारा दिन खाते रहने वाले लोगों के जीवन को गहराई से समझ कर देखों तो स्पष्ट हो जायेगा कि उनके जीवन में प्रेम है ही नही । प्रेम की कमी का शिकार जो लोग ओवरईटिंग से होने वाले दुष्प्रभावों को जानते है । वह लोग अपनी आदत चाकलेट, टाफियों और चविंगम आदि जैसी नान-कैलोरीज वाली चीजों से पूरा करते रहते है।


दूसरे कारण में संभोग के प्रति असंतुलन को समझने के लिए संभोग को व्यापक नजरिये से समझने की जरूरत है। संभोग में क्रियाशील तन और मन की कार्यप्रणाली को समझ कर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि संभोग में, दूसरे किसी भी काम में खर्च होने वाली ऊर्जा के मुकाबले ज्यादा ऊर्जा खर्च होती हैं। इसका मतलब है कि संभोग में किसी स्त्री या पुरूष को पूरी ऊर्जा लगाने का मौका नही मिलता तो वह अक्सर ही तरह-तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं से ग्रस्त हो जाता है। इस कारण ही जल्दी-जल्दी मिनटों सैकण्डों में संभोग को खत्म कर देने वाले जोड़ों में औरत अक्सर मोटापे का शिकार पायी जाती हैं। मोटापे का इलाज करते समय मैं इन सब कारणों की ओर भी विशेष ध्यान देता हूँ।


आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार शारीरिक मेहनत न करना, दिन में सोना और कफ वर्द्धक मीठे और चिकनाई भरे आहार-विहार का सेवन करने से चर्बी बढ़ती है। चर्बी बढ़ने से स्रोतों से रास्ते मे रूकावट पैदा हो कर धातु-पोषण बन्द हो जाता हैआयुर्वेदिक शरीर क्रिया विज्ञान अनुसार चर्बी का शरीर में स्थान पेट और हड्डियाँ होती है। इस कारण मोटापे में पेट के साथ-साथ सारे शरीर का आकार फैलना शुरू हो जाता है। मोटापे के कारण देर सवेर औरत तरह-तरह की बीमारियों में घिर जाती है। वातवित्त के प्रकुपित हो जाने से और अक्सर श्वास, हृदय रोग, महावारी के दोष, प्रदर, हाई ब्लड प्रेशर और पसीने से दुर्गन्ध आने जैसे रोगों से पीडित हो जाती है। चर्बी बढ़ जाने के कारण पीठ, पेट और स्तन लटक जाते हैं। प्रजनन अंगों में चर्बी बढ़ जाने के कारण औरत बन्ध्यत्व का शिकार भी हो जाती हैमोटापे का इलाज करते समय मोटापे में काम करने वाले कारणों के अनुसार चिकित्सा व्यवस्था की जानी चाहिये। मोटापे से पीड़ित औरत अग्निमंद या विषम अग्नि से पीडित पायी जाती है। इसलिए सबसे पहले मंद हुई अग्नि को प्रज्वलित और विषम अग्नि को सम करना चाहिये चर्बी से रूके हुए स्रोतों को खोलने के लिए चिकित्सा अग्नि सम करने के बाद ही करनी चाहिये। यह दोनों काम सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक चिकित्सा से संभव होते है। मोटापे का इलाज करते समय डॉक्टर और रोगी दोनों को यह पता होना चाहिये कि यह रोग जैस धीरे - धीरे आता हैं, वैसे ही धीरे-धीरे जाता हैइस कारण इसका इलाज भी छ: महीने से साल तक भी चल सकता है।


मोटापे का चिकित्सा सिद्धान्त


मोटापे के इलाज में औषधि चिकित्सा के साथ-साथ कफकारक और मोटापे करने वाले दूसरे कारणों से परहेज भी जरूरी होता है। खाने-पीने की एक नियमित व्यवस्था करनी चाहिये । चावल, गेहूँ, दूध, और दूध से बने पदार्थ, मदली, मांस, मिठाई, आलू, तली चीजें समोसे, पकौड़े, पूरियाँ और उरूद की दाल का बिल्कुल त्याग कर देना चाहिये। मोटापे से बचने का सबसे बढ़िया इलाज यह है कि,


1. शहद और पानी मिलाकर सुबह खाली पेट लेने पर हर तरह के मोटापे का नाश करता है। कई लोग इसमें निम्बू का रस भी मिलाने को कहते है। 2. सुबह शाम बारीक पिसी हुई सौफ का एक चम्मच गर्म पानी से लेना भी मोटापा नाशक है। 3. हरड़ का चूर्ण एक चम्मच एक गिलास पानी में रात को भिगोकर सुबह जरूरत के अनुसार नमक मिलाकर खाली पेट पीना मोटापा नाशक माना जाता है। इन योगों के इलावा अरोग्यवर्धिनी, योगराज गुग्गल, चन्द्रप्रभा वटी, कामनीकुलमण्डल रस और मेदोहर गुग्गल आदि प्रकृति के अनुसार उपयोगी सिद्ध होते है। मोटापे के कारण माहवारी बन्द हो तो इस योगों के साथ रज प्रवर्तिनी वटी का सेवन करायें।


मोटापे पर मेरा सिद्धप्रयोग


योग-


शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, अभ्रक भस्म 100 पुटी ताम्रभस्म, लोह भस्म 100 पुटी 10-10 ग्राम, हरड, बहेडा, आंवला, रेवन्दचीनी 30-30 गाम, चित्रकमूल, शुद्ध गुग्गल, शुद्ध शिलाजीत 50-50 ग्राम, एलुवा, सौंठ, काली मिर्च, पीपल 20-20 गाम, कुटकी 400 ग्राम एब औषधियों का कपड़छान चूर्ण करके कुमारी स्वरस में खरल करके चने प्रमाण गोली बना ले। एक से चार गोली भोजन के बाद।


उपयोग–


मोटापे के लिए अत्यन्त उत्तम योग है। स्रोतों में आये विरोध को दूर करके शरीर को फिर से सुन्दर सुडौल बना देता हैं। थायमस ग्लैंड के विकार कारण हुआ मोटापा भी इसके सेवन से दूर हो जाता है। मोटापे के कारण माहवारी बन्द हो गयी हो तो इसके साथ सिंगरफ भस्म से तैयार की गई रजप्रवर्तिनी वटी एक गोली को सेवन कराना चाहिये इसके सेवन से मोटापे के साथ पेशाब, टट्ठी और पसीने से आने वाली बदबू दूर हो जाती है। पाँच-छ: महीने सेवन करने से मोटापे से गोलगप्पा बनी औरत भी सुन्दर सुडौल शरीर की मालिक बन जाती है। मोटापा कम करने वाले योग के प्रयोग करने से अक्सर शरीर पर झुड़ियाँ पड़ जाती है। पर इसके सेवन करने पर ऐसा कोई दुष्प्रभाव नही देखा गया। दर्जनों बार मोटापे पर इसका प्रयोग किया है। कभी भी असफलता नहीं मिली।


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